चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने जब से चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है, तब से दोनों राज्यों के नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है. चंडीगढ़ मुद्दे को लेकर (Chandigarh Capital issue) हरियाणा विधानसभा द्वारा मंगलवार को विशेष सत्र भी बुलाया गया. जहां एक तरफ पंजाब के नेता चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार होने की बात कर रहे, तो वहीं हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार की बात करते हैं.
हरियाणा के कई नेताओं का कहना है कि अगर शाह कमीशन की रिपोर्ट देखी जाए, तो कानूनी तौर पर चंडीगढ़ पर हरियाणा का अधिकार है. इसके अलावा जब राजीव लोंगोवाल समझौता (Rajiv Longowal agreement) हुआ था, तब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ पंजाब को देने की बात कही थी, लेकिन इसके बदले में चार सौ हिंदी भाषी गांवों को हरियाणा को देने की बात भी कही थी. जिसे अब तक पंजाब द्वारा पूरा नहीं किया गया. वहीं हरियाणा की ओर से पंजाब के साथ SYL जैसे मुद्दे पर चर्चा करने की बात कह रहे हैं.
जब चंडीगढ़ को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनाया गया था. तब शाह कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार खरड़ तहसील को हरियाणा को दिया जाना था. खरड़ तहसील उस वक्त पंजाब की सबसे बड़ी तहसील थी. खरड़ तहसील में चंडीगढ़ समेत कालका और पंचकूला भी आते थे. अगर खरड़ तहसील हरियाणा के हिस्से आती तो चंडीगढ़ पर खुद ही हरियाणा का अधिकार हो जाता, लेकिन अंतिम क्षणों में पंजाब कांग्रेस के कुछ नेता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास पहुंचे और उनसे बात की. तब इंदिरा गांधी ने खरड़ तहसील को हरियाणा को देने की बजाय पंजाब को दे दिया. जबकि कालका और पंचकूला इलाके हरियाणा को दिए और चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया.