चंडीगढ़: ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) एक ऐसा कैंसर बन चुका है जो किसी भी अन्य कैंसर के मुकाबले सबसे ज्यादा महिलाओं की जान ले रहा है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार साल 2020 में दुनिया भर में करीब 2 करोड़ 30 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित पाई गई थी. जिसमें से 6 लाख 85 हजार महिलाओं की मौत हो गई. अगर भारत की बात की जाए तो ब्रेस्ट कैंसर इंडिया के अनुसार साल 2018 में देशभर में ब्रेस्ट कैंसर के 1 लाख 62 हजार 468 मामले सामने आए थे. जिनमें से 87 हजार 90 महिलाओं की मौत हो गई थी.
भारत में ब्रेस्ट कैंसर इतनी तेजी से फैल रहा है कि यहां हर 4 मिनट में एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर पाया जा रहा है, तो दूसरी और हर 8 मिनट में एक महिला की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो रही है. बहुत से मामलों में महिलाओं की जान नहीं बच पाती और अगर किसी महिला की जान बच पाती है तो ऐसे मामलों में भी ज्यादातर महिलाओं की छाती पूरी तरह से निकाल दी जाती है. जिससे वो उम्र भर के लिए मानसिक अवसाद का शिकार हो जाती हैं. ऐसे में अगर कोई महिला ठीक होने के बाद मां बन जाती है तो वह है अपने बच्चे को दूध पिलाने के लायक नहीं रहती.
ब्रेस्ट कैंसर से भारत में हर 8 मिनट में होती है महिला की मौत, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने निकाला सबसे असरदार इलाज ये भी पढ़ें-ग्रामीण इलाकों में क्यों नहीं जाना चाहते डॉक्टर? चंडीगढ़ PGI के प्रोफेसर की रिसर्च में हुआ खुलासा
ये स्थिति अविवाहित महिलाओं और कम उम्र की लड़कियों के लिए ज्यादा भयावह है, लेकिन चिकित्सा जगत लगातार प्रगति कर रहा है. जिससे कई जानलेवा बीमारियों का इलाज पहले से ज्यादा आसान हुआ है. चंडीगढ़ में डॉक्टरों ने ऐसे ही इस तकनीक (breast cancer treatment) के सहारे कई महिलाओं का न सिर्फ सफलतापूर्वक इलाज किया है बल्कि उनकी छाती को निकालने से भी बचा लिया गया. इस नई तकनीक का नाम है सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी (Sentinel lymph node biopsy).
इस तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए फोर्टिस अस्पताल के डॉ. नवल बंसल ने कहा कि नई तकनीक से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज पहले से बेहतर हो गया है. इस तकनीक में महिलाओं की जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है और जोखिम भी कम हो गया है. यहां तक की महिलाओं की ठीक होने की रफ्तार भी तेज हो गई है. हम अस्पताल में महिला का ऑपरेशन के बाद उसे अगले दिन छुट्टी दे देते हैं. क्योंकि इस तकनीक में छाती के नीचे दो छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं और उनसे ही पूरा ऑपरेशन कर दिया जाता है. डॉक्टर नवल बंसल ने कहा कि इस नई तकनीक से 90 प्रतिशत महिलाओं की छाती को बचाया जा सकता है. इसके अलावा हाथ की सूजन और अन्य जोखिमों को भी लगभग खत्म कर दिया गया है.
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इस बारे में रेडियोथेरेपिस्ट डॉ. नरेंद्र कुमार भल्ला ने बताया कि इस तकनीक के साथ-साथ अन्य तरीकों में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. उदाहरण के लिए पहले रेडियो थेरेपी कराने के बाद मरीज काफी कमजोरी महसूस करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता. मरीज को कमजोरी या कोई अन्य समस्या पेश नहीं आती. उन्होंने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर होने का कोई एक कारण नहीं है बल्कि इसके कई कारण हैं. जिसमें सबसे बड़ा कारण पश्चिमी खानपान है. लोग भारतीय व्यंजनों को छोड़कर पश्चिमी व्यंजन खा रहे हैं जैसे फास्ट फूड इत्यादि. खराब खानपान और खराब लाइफस्टाइल ही सबसे बड़ा कारण है.
डॉक्टर ने कहा कि अगर किसी महिला को उसके स्तन में दर्द महसूस होता है, त्वचा पर लाली या पिंपल दिखाई देते हैं, स्तनों के आकार में बदलाव आता है और अगर डिस्चार्ज में खून दिखाई देता है तो महिला को डॉक्टर के पास जाना चाहिए क्योंकि ये सभी लक्षण कैंसर (breast cancer symptoms) के हो सकते हैं.
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