चंडीगढ़: 350 करोड़ रुपये के मुनाफे वाले बिजली विभाग को टेकओवर करने की दौड़ में अंबानी, अडानी और टाटा सहित नौ बड़ी प्राइवेट कंपनियां लाइन में लगी हैं. इन नौ कंपनियों ने बिजली विभाग की ओर से जारी किए गए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल में अपनी रूचि दिखाई है.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि चंडीगढ़ प्रशासन उन विभागों का निजीकरण क्यों कर रहा है, जोकि पहले से ही करोड़ों रुपये के मुनाफे में चल रहे हैं. प्रशासन उन विभागों का निजीकरण क्यों नहीं करता जो विभाग करोड़ों रुपये के घाटे या फंड की कमी से जूझ रहे हैं.
इस समय नगर निगम में फंड की सबसे ज्यादा कमी है. इसके चलते शहर में पानी की किल्लत अब तक दूर नहीं हुई है. पानी की किल्लत को दूर करने के लिए आखिरकार प्रशासन क्यों किसी प्राइवेट प्लेयर या कंपनी को प्रोजेक्ट नहीं सौंप देता.
बिजली विभाग के निजीकरण की दौड़ में ये कंपनियां
- बिजली विभाग के निजीकरण की दौड़ में सीएईएससी लिमिटिड
- टोरेंट पावर लिमिटिड
- स्टरलाइट पावर
- अडानी ट्रांसमीशन लिमिटेड
- टाटा पावर कंपनी लिमिटेड
- जीएमआर जेनरेशन असेट लिमिटेड
- इंडिया पावर कारपोरेशन लिमिटेड
- डीएनएच पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड
- एनटीपीसी इलेक्ट्रिक सप्लाई लिमिटेड कंपनी शामिल हैं