चंडीगढ़: रविवार 27 मार्च को गृहमंत्री अमित शाह चंडीगढ़ दौरे पर रहें. इस दौरान अमित शाह ने एक बड़ी घोषणा की. उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन में सेंट्रल सर्विस रूल्स को लागू (central service rules in Chandigarh) करने का ऐलान किया. धनास में पुलिस कर्मियों के लिए बनाए गए घरों का उद्घाटन करने के बाद अपने भाषण में गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा की.
गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा से चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर है. क्योंकि इससे पहले चंडीगढ़ में पंजाब सर्विस रूल्स लागू थे. जिससे यहां के सरकारी कर्मचारी खुश नहीं थे. वो काफी सालों से सरकार के सामने ये मांग उठा रहे थे कि चंडीगढ़ में सेंटर सर्विस रूल्स लागू होने चाहिए. चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारी अमित शाह की इस घोषणा से क्यों खुश हैं? इस नियम से यहां के सरकारी कर्मचारियों को क्या फायदा होगा? इन्हीं सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत हरियाणा ने इस मांग को लेकर लगातार आंदोलन करने वाले चंडीगढ़ टीचर एसोसिएशन के प्रधान स्वर्ण सिंह कंबोज से बात की.
चंडीगढ़ में सेंट्रल सर्विस रूल्स लागू होने से क्या फायदा और नुकसान? जानें हर सवालों का जवाब स्वर्ण सिंह कंबोज ने कहा कि चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को उनके अधिकार मिल पाएंगे. जो अभी तक नहीं मिल पा रहे थे. उन्होंने कहा कि साल 1966 से पहले चंडीगढ़ में भी सेंटर सर्विस रूल लागू था, लेकिन 1966 के बाद यहां पर पंजाब सर्विस रूल लगा दिया गया. उस समय ये कहा गया था कि जब तक चंडीगढ़ में खुद के सरकारी कर्मचारी तैयार नहीं हो जाते, तब तक यहां पर 60% कर्मचारी पंजाब से और 40% कर्मचारी हरियाणा से आएंगे, लेकिन अब चंडीगढ़ के युवा इतने सक्षम हो चुके हैं कि वो सरकारी पदों पर बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं.
अभी तक यहां पर पंजाब सर्विस रूल लागू था. जिससे चंडीगढ़ के कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा था. ना तो नियमों के अनुसार उनकी सैलरी बढ़ रही थी और ना ही उन्हें प्रमोशन मिल रहा थी.
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क्या हैं पंजाब सर्विस रूल्स?
1. पंजाब में रिटायरमेंट की उम्र 58 साल है.
2. चाइल्ड केयर लीव: बच्चे के 18 साल तक होने से पहले माता-पिता उसके पालन-पोषण और पढ़ाई के लिए 1 साल की चाइल्ड केयर लीव ले सकते हैं.
3. निर्धारित पदों के लिए पंजाब में केंद्र के मुकाबले कम वेतन दिया जाता है.
4. वेतन आयोग: केंद्र सरकार द्वारा वेतन आयोग लागू करने के बावजूद कई बार राज्य सरकार उसे तुरंत लागू नहीं करती. जिससे कर्मचारियों को नए वेतन आयोग का फायदा समय पर नहीं मिल पाता.
5. सरकारी कर्मचारियों को उनके और परिवार के स्वास्थ्य के लिए अलग से कोई खास सुविधा नहीं दी जाती.
6. एजुकेशन एलाउंस: पंजाब में कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाती.
7. पेंशन: पंजाब में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी केंद्रीय कर्मचारियों के मुकाबले कम है. जिससे उन्हें पेंशन का लाभ भी कम मिलता है.
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कर्मचारी को हर 10 साल के बाद नया वेतन आयोग दिया जाता है. जो वेतन आयोग केंद्र सरकार ने 2016 में लागू कर दिया था. वो चंडीगढ़ के कर्मचारियों को अब जाकर मिला है, क्योंकि जब तक पंजाब सरकार इसे लागू नहीं करेगी. तब तक चंडीगढ़ के कर्मचारियों को भी ये नहीं मिलेगा. अब चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को नए वेतन आयोग का फायदा 2016 से ही दिया जाएगा. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा जितनी भी सुविधाएं दी जाती हैं. वो सभी चंडीगढ़ के कर्मचारियों को मिलेंगी. चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां के सरकारी कर्मचारी पंजाब सरकार के अधीन काम क्यों करेंगे?
क्या है सेंट्रल सर्विस रूल्स?
1. केंद्र में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है. जिससे कर्मचारी 2 साल ज्यादा नौकरी कर सकता है.
2. चाइल्ड केयर लीव: केंद्र के नियमों के अनुसार कर्मचारी अपने बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई के लिए 2 साल की लीव ले सकता है.
3. निर्धारित पदों के लिए केंद्र में पंजाब के मुकाबले ज्यादा वेतन दिया जाता है.
4. वेतन आयोग: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए वेतन आयोग का फायदा कर्मचारियों को तुरंत मिलेगा.
5. केंद्र के अधीन आने वाले सरकारी कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा. जिसकी मदद से वो किसी भी केंद्रीय अस्पताल में अपना और अपने परिवार का इलाज मुफ्त करवा सकते हैं.
6. सेंट्रल सर्विस रूल्स के तहत सभी सरकारी कर्मचारियों को उनके बच्चों की शिक्षा के लिए प्रति बच्चा 2500 से 3500 रुपये तक एजुकेशन एलाउंस दिया जाता है. ये राशि ज्यादा भी हो सकती है.
7. केंद्र के अधीन आने वाले कर्मचारियों की सैलरी पंजाब के कर्मचारियों से ज्यादा होती है. जिस वजह से रिटायरमेंट के बाद उनकी पेंशन भी पंजाब के कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा रहती है.
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इसके अलावा पंजाब सरकार यहां के कर्मचारियों को प्रमोशन भी नहीं दे रही थी. बहुत से कर्मचारी अपनी मौजूदा पोस्ट पर ही रिटायर हो गए. पिछले 20 सालों से उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया, जबकि हरियाणा और पंजाब से डेपुटेशन पर पुराने वाले कर्मचारी यहां पर मौज कर रहे हैं. वो 2 साल के लिए यहां पर आते हैं, लेकिन अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर यहीं पर रह जाते हैं. वो अपने गृह राज्य में वापस नहीं जाते. जिससे यहां के कर्मचारियों का नुकसान होता है. पंजाब के कुछ नेता इसका विरोध कर रहे हैं. इसपर स्वर्ण सिंह कंबोज ने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो ये बताए कि जब चंडीगढ़ में इतने सालों से पंजाब सर्विस रूल्स लागू है तब उन्होंने यहां के कर्मचारियों के हक की आवाज क्यों नहीं उठाई. यहां के कर्मचारियों को ना तनख्वाह में कोई लाभ दिया गया और ना ही उनके प्रमोशन के बारे में सोचा गया.
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