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SYL पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, 'दोनों सीएम की बैठक कराकर निकालेंगे रास्ता'

हरियाणा और पंजाब के बीच रावी ब्यास नदियों के पानी के बंटवारे के लिए सतलुज यमुना सम्पर्क नहर के निर्माण (एसवाईएल) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. ये मुद्दा दोनों प्रदेशों के बीच दशकों से विवाद का कारण बना हुआ है.

centre answered on syl issue in supreme court
SYL मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, बैठक कराकर निकालेंगे रास्ता- केंद्र

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Published : Jul 28, 2020, 4:14 PM IST

दिल्ली/चंडीगढ़ःसतलुज यमुना लिंक नहर यानी एसवाईएल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने आज जवाब दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक साथ बैठाकर मीटिंग कराई जाएगी. इस मीटिंग में कोई रास्ता निकाला जाएगा. मामलें में अब अगस्त के तीसरे हफ्ते तक जवाब दाखिल किया जाना है.

हरियाणा के पक्ष में फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो साल पहले एसवाईएल मुद्दे पर हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था लेकिन ये फैसला अभी तक लागू नहीं हो सका है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट की मुख्य बैंच द्वारा इस फैसले को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए गए थे कि वो अदालत से बाहर इस केस में मध्यस्थता करते हुए पंजाब व हरियाणा को इस बात के लिए राजी करे कि वो फैसले के प्रकाश में नियमों का पालन करें.

क्या है मामला

हरियाणा और पंजाब के बीच सतुलज यमुना संपर्क नहर का विवाद बहुत पुराना है. दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर अक्सर तलवारें खिंचती रही हैं. पंजाब और हरियाणा के बीच हालात इस हद तक पहुंच गए कि उनकी विधानसभाओं में एक-दूसरे के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

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पानी के बंटवारे की जंग!

पंजाब ने तो नहर के लिए अधिग्रहीत की गई किसानों की जमीनें भी वापस करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. इसके बाद लोगों ने नहर को भरने तक शुरू कर दिया. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना, लेकिन उत्तराधिकारी राज्यों (पंजाब व हरियाणा) के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ.

अधर में लटका निर्माण कार्य

विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी कर हरियाणा को 3.5 एम.ए.एफ. पानी आवंटित कर दिया. इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी एस.वाई.एल. नहर बनाने का निर्णय हुआ था. हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण सालों पहले पूरा कर दिया था, लेकिन पंजाब ने निर्माण कार्य पूरा नहीं किया.

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