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Tricity Metro Project: ट्राइसिटी मेट्रो परियोजना के खर्च का मामला केंद्र ने पंजाब-हरियाणा पर छोड़ा, दो चरण में पूरा होगा प्रोजेक्ट - ट्राइसिटी मेट्रो प्रोजेक्ट

केंद्र सरकार ने ट्राइसिटी (चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली) मेट्रो परियोजना (Tricity Metro Project) पर आने वाले खर्च का मामला पंजाब और हरियाणा सरकारों पर छोड़ दिया है. अब दोनों राज्यों को मिलकर इस मामले पर फैसला करना है. चंडीगढ़ प्रशासन ने भी प्लान तैयार करने पर सहमति जता दी है. चंडीगढ़ में करीब 10 हजार 570 करोड़ की लागत से मेट्रो चलाने की योजना है.

Central Govt Approves Chandigarh Metro Project
ट्राइसिटी मेट्रो प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

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Published : Jun 30, 2023, 2:32 PM IST

Updated : Jun 30, 2023, 6:27 PM IST

चंडीगढ़: केंद्रीय आवास एवं नागरिक मामलों के मंत्रालय ने चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली के बीच कुल 39 किलोमीटर के मेट्रो रेल नेटवर्क को कवर करने वाली ट्राइसिटी मेट्रो परियोजना को मंजूरी दे दी है. यह मेट्रो प्रोजेक्ट अब दो राज्यों यानी हरियाणा और पंजाब की आपसी सहमति के तहत आगे बढ़या जाएगा. प्रोजेक्ट पर आने वाले वित्तीय खर्च का बंटवारा दोनों राज्य आपसी सहमति से करेंगे. इस प्रोजेक्ट को चंडीगढ़ के साथ-साथ मोहाली और पंचकूला तक विस्तार दिया जायेगा. मोहाली पंजाब में और पंचकूला हरियाणा में आता है.

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ट्राइसिटी मेट्रो परियोजना (Tricity Metro Project) की व्यापक गतिशीलता योजना (comprehensive mobility plan) प्रस्तुत कर दी गई है. इस मेट्रो प्रोजेक्ट को केंद्रीय आवास एवं नागरिक मंत्रालय ने महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताते हुए ट्राई सिटी मेट्रो परियोजना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है. चंडीगढ़ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी धर्मपाल ने कहा कि, केंद्र सरकार को इस परियोजना पर कोई आपत्ति नहीं है. मंत्रालय ने रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेज (राइट्स) को अलग-अलग फेस में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने के लिए कहा था, जिसे फंड के लिए फिर से मंत्रालय को भेजा जाएगा.

ट्राइसिटी मेट्रो प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी.

रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (RITES) द्वारा तैयार मेट्रो प्रस्ताव से ट्राई सिटी में बढ़ती ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात मिल सकती है. राइट्स ने 39 किलोमीटर के मेट्रो नेटवर्क का प्रस्ताव दिया है, जो चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला में फैला हुआ है. यह हेरिटेज सेक्टर-1 से सेक्टर-30 तक फैला हुआ है. पंचकूला हरियाणा में और मोहाली पंजाब राज्य में आता है. इस प्रोजेक्ट पर 10 हजार 570 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. इसमें मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (MRTS) में बस टर्मिनल, बस डिपो और व्यस्त चौराहों पर सुधार भी शामिल हैं.

ट्राइसिटी मेट्रो प्रोजेक्ट का प्रस्तावित रूट और स्टेशन.

इस साल मार्च में चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब ने ट्राइसिटी के लिए RITES द्वारा तैयार व्यापक गतिशीलता योजना (CMP) को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. प्रोजेक्ट के अंतिम मेट्रो नेटवर्क में दो चरण शामिल हैं, जो चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला और जीरकपुर, न्यू चंडीगढ़ और पिंजौर में फैले हुए हैं. पहले चरण के प्रोजेक्ट को 2027 से 2037 के बीच विकसित किया जाएगा. इसका कार्य एमआरटीएस सारंगपुर से पंचकूला आईएसबीटी तक चलेगा. रॉक गार्डन से जीरकपुर आईएसबीटी तक मोहाली औद्योगिक क्षेत्र और हवाई अड्डे के माध्यम से और ग्रेन मार्केट चौक, सेक्टर-39 से ट्रांसपोर्ट नगर, सेक्टर-26 तक प्रोजेक्ट पर काम होगा. दूसरा चरण साल 2037 के बाद विकसित किया जाएगा. इसमें चार मार्ग शामिल होंगे. इनमें पंचकूला आईएसबीटी से पंचकूला एक्सटेंशन, पारौल, नई चंडीगढ़ से सारंगपुर, एयरपोर्ट चौक से मानकपुर कल्लार और जीरकपुर आईएसबीटी से पिंजौर आईएसबीटी तक लाया जाएगा.

चंडीगढ़ जैसे शहर में मेट्रो की लाइन बिछने को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. केंद्र सरकार ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है, ऐसे में अब दोनों राज्यों पंजाब और हरियाणा को मिलकर इस मुद्दे पर बैठक कर फैसला लेना है. - नितिन यादव, सचिव, चंडीगढ़ गृह विभाग

पहली बार विचार किए जाने के लगभग 14 साल बाद पंजाब और हरियाणा सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन ने 16 मार्च को सीएमपी पर एक बैठक के दौरान मेट्रो परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. 12 लाख से अधिक की आबादी और 15 लाख पंजीकृत वाहनों के साथ चंडीगढ़ में प्रति घर वाहनों की संख्या देश में सबसे अधिक है, जिससे गंभीर यातायात समस्याएं पैदा होती हैं. वहीं, ट्राइसिटी और अंतरराज्यीय मार्गों पर चलने वाले 2 लाख से अधिक वाहन भी प्रतिदिन शहर से गुजरते हैं, जिससे लगातार भीड़ बढ़ रही है.

चंडीगढ़ में मेट्रो प्रोजेक्ट से इंटर स्टेट हाइवे पर ट्रेफिक का दबाव कम होगा.

मेट्रो बनाने का प्रस्ताव पुराना है. केंद्र ने पहले इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था. राइट्स कंपनी ने 2009 में तैयार अपनी पहली रिपोर्ट में भी मेट्रो की सिफारिश की थी. लेकिन आठ साल बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2017 में इस परियोजना को खारिज कर दिया था और यूटी प्रशासन से परिवहन के वैकल्पिक मॉडल की तलाश करने को कहा था. मंत्रालय का तर्क था कि शहर के आकार के कारण चंडीगढ़ में मेट्रो सेवा उपयुक्त नहीं है. साथ ही, इसकी ₹14,000 करोड़ की लागत का मुद्दा गंभीर है. अब केंद्र ने 14 साल बाद हरियाणा और पंजाब सरकार पर ही जिम्मेदारी डालते हुए मंजूरी दी है.

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Last Updated : Jun 30, 2023, 6:27 PM IST

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