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ब्राह्मण समाज पर बीजेपी की नजर, फिर पार्टी सांसद अरविंद शर्मा के इस बयान के क्या है मायने?

ब्राह्मण समाज पर बीजेपी की नजर बनी हुई है. लेकिन पार्टी के सांसद अरविंद शर्मा के विवादित बयान एक बार फिर चर्चा में बने हुए हैं. सीएम बदलने और ब्राह्मण चेहरे को लेकर दिए गए बयान के आखिर क्या मायने हैं, समझिए.(Emphasis on Brahmin face in Haryana)

Emphasis on Brahmin face in Haryana
Emphasis on Brahmin face in Haryana

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Published : Dec 13, 2022, 8:00 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में एक तरफ बीजेपी ब्राह्मण पर खासतौर पर फोकस कर रही है तो वहीं बीजेपी के एक सांसद प्रदेश में ब्राह्मण मुख्यमंत्री की बात कह रहे (Emphasis on Brahmin face in Haryana) हैं. हालांकि जातीय समीकरणों के हिसाब से प्रदेश में ब्राह्मणों की कुल आबादी में हिस्सेदारी करीब 10% है. हालांकि प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी जाट, ओबीसी की है.

बीजेपी के रोहतक सांसद अरविंद शर्मा पिछले कुछ समय से लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने ब्राह्मणों को लेकर अपनी आवाज उठाते रहे हैं. ऐसे में उन्होंने रविवार को करनाल में हुए भगवान परशुराम के राज्यस्तरीय समारोह में फिर से इसको लेकर बयान दिया. खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा भी मौजूद रहे.

हरियाणा में अगला सीएम ब्राह्मण समाज से हो: एक तरफ जहां बीजेपी ऐसे कार्यक्रमों के जरिए ब्राह्मणों को साधने में जुटी हुई है, तो वहीं उनकी पार्टी के सांसद खुद को ब्राह्मणों का एक मात्र नेता जिताने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. करनाल में हुए इस कार्यक्रम में अरविंद शर्मा ने बयान दिया कि जैसे देश के प्रधानमंत्री ने एक आदिवासी समाज की महिला को देश का राष्ट्रपति बनाया है उसी तरह हरियाणा में अगला मुख्यमंत्री ब्राह्मण समाज से होना चाहिए.

ब्राह्मण समाज से आते हैं अरविंद शर्मा:प्रदेश में मौजूदा दौर में ब्राह्मण समाज के नेता के तौर पर शर्मा का नाम बीजेपी में लिया जाता है. ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी ब्राह्मण समाज में पैठ मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि अरविंद शर्मा पिछले कई कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री के सामने इस तरह के कार्यक्रमों में चुनौती पेश करते रहे हैं. ऐसे में पार्टी एक और ब्राह्मण चेहरे को इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए आगे करने का भी काम कर रही है.

कार्तिकेय शर्मा पर बीजेपी की नजर: बात हो रही है कार्तिकेय शर्मा जोकि राज्यसभा सांसद हैं. बीजेपी ने जहां उन्हें राज्यसभा में भेजने के लिए प्रयास किया था. वहीं पार्टी उन्हें अब प्रदेश के एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भी पेश करने की कोशिश कर रही है. कहीं ना कहीं इससे अरविंद शर्मा भी खुद के कद को छोटा होता देख, अपने बयानों में धार लाने की कोशिश कर रहे हैं.

इसलिए है अरविंद शर्मा का ब्राह्मण चेहरे पर जोर:हालांकि इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि कार्तिकेय शर्मा के पिता विनोद शर्मा जोकि पूर्व कांग्रेस नेता भी रहे हैं वह भी प्रदेश में ब्राह्मण समाज के बड़े नेता के तौर पर माने जाते रहे हैं. ऐसे में अब उनके बेटे कार्तिकेय शर्मा इस विरासत को आगे ले जाने में जुटे हुए हैं. वहीं अरविंद शर्मा को भी इस बात का अहसास जरूर है तभी प्रदेश में ब्राह्मण सीएम बनाने को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.

चर्चा में रहे विवादित बयान: इस बात को भी सभी जानते हैं कि अरविंद शर्मा इससे पहले रोहतक में एक कार्यक्रम में विवादित बयान देते हुए यह तक कह दिया था कि मुख्यमंत्री अपने दिमाग से काम नहीं लेते. इससे पहले भी अरविंद शर्मा साल 2014 में पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा के साथ धोखा होने की बात कह चुके हैं. हालांकि, तब हरियाणा में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी और रामविलास शर्मा सीएम नहीं बन पाए थे.

अरविंद शर्मा का ब्राह्मण सीएम पर बयान: सांसद अरविंद शर्मा के ब्राह्मण सीएम के बयान को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार गुरमीत सिंह कहते हैं कि अरविंद शर्मा खुद को ब्राह्मण समाज का एक बड़ा नेता मानते हैं. ऐसे में उनके द्वारा दिया गया इस तरह का बयान कहीं ना कहीं खुद को ब्राह्मण समाज का एक छत्र नेता पेश करने के तौर पर भी देखा जा सकता है.

ब्राह्मणों को साध रही बीजेपी:वहीं बीजेपी द्वारा ब्राह्मण समाज को साधने पर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि भले ही प्रदेश में 10% के करीब ब्राह्मण समुदाय के लोग हों लेकिन बीजेपी उनकी अहमियत को जानती है. इसलिए इस वोट बैंक को साधने में पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. जहां तक बात बीजेपी द्वारा कार्तिकेय शर्मा को ब्राह्मण समाज का बड़ा नेता बनाने की है तो इसको लेकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि कार्तिकेय शर्मा के पिता खुद ब्राह्मणों के बड़े नेताओं में से एक हैं. ऐसे में अगर कार्तिकेय शर्मा उस विरासत को आगे ले जाते हैं तो इसमें कोई हैरानी की बात (haryana politics 2024) नहीं है.

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