चंडीगढ़:हरियाणा में जिन दो बड़े मुद्दों की पर इन दिनों बवाल मचा है, उनमें सरपंचों का ई टेंडरिंग के खिलाफ हल्ला बोल और कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग शामिल है. इन दोनों मुद्दों ने प्रदेश का सियासी पारा हाई किया हुआ है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि अगर यही विरोध जारी रहा तो 2024 में बीजेपी और जेजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी क्योंकि विपक्ष के लिए ये दोनों मुद्दे बहुत बड़े हथियार हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इन दोनों मामलों से बड़ी संख्या में वोट प्रभावित हो रहा है.
हरियाणा में करीब 3 महीनों से सरपंच सरकार की पंचायतों के लिए शुरू की गई ई टेंडरिंग (E tendering controversy in Haryana), राइट टू रिकॉल की व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं. इन दो प्रमुख मुद्दों के अलावा भी उनकी कई मांगें हैं. इसी के चलते सरपंच अब पंचकूला और चंडीगढ़ के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. सरपंच मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलकर इस व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.
दूसरी बड़ी चुनौती सरकार के सामने कर्मचारियों की हरियाणा में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme in Haryana) लागू करने की है. कर्मचारी भी अपनी मांग को लेकर झंडा बुलंद किए हुए हैं. वे भी पंचकूला में एक बहुत बड़ा प्रदर्शन करके लड़ाई का ऐलान पहले ही कर चुके हैं. कई दिन दिन तक सरकार और कर्मचारियों के बीच भिड़ंत चलती रही. जिसके बाद दबाव में आकर सरकार ने ओपीएस पर मंथन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है. कमेटी के साथ कर्मचारियों की पहली बैठक भी हो चुकी है लेकिन इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई. कर्मचारी दावा कर चुके हैं कि वो ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करवाकर रहेंगे.
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एक तरफ सरकार के सामने इन दोनों मुद्दों को हल करने की चुनौती खड़ी है तो विपक्ष इन मांगों के बहाने सरकार पर आक्रामक है. बात सरपंचों की हो या फिर कर्मचारियों की, दोनों सरकार के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं. सरपंच और कर्मचारी दोनों सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि इसका खामियाजा 2024 में सरकार को भुगतना पड़ेगा. हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 में होना है. सरंपच के विरोध का मतलब है कि गांव-गांव में सरकार के खिलाफ नाराजगी. वहीं विपक्ष के हाथ भी बहुत बड़े चुनावी मुद्दे लग गये हैं.
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरपंचों के मामले को लेकर सरकार पर हमलावर हैं. एक तरफ जहां वे इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर को रद्द करने की मांग कर रहे हैं तो वही सरकार पर जनता की आवाज लाठी से दबाने का आरोप लगा रहे हैं. हुड्डा कह रहे हैं कि ई टेंडरिंग के नाम पर सरकार भ्रष्टाचार का नया अड्डा स्थापित करना चाहती है. इतना ही नहीं ओपीएस को लेकर भी वे प्रदेश सरकार को घेर रहे हैं. हुड्डा का कहना है कि ओपीएस पर कमेटी बनाकर सरकार टाइमपास कर रही है, जबकि एक लाइन में इसका फैसला हो सकता है.