चंडीगढ़: कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके राज्यसभा सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को जगह नहीं मिली. सियासी गलियारों में इस बात को लेकर काफी चर्चा शुरू हो गई है, क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने थे. उन्होंने खड़गे के अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान उनके समर्थन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी.
राजनीतिक मामलों के जानकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह इस पर कहते हैं कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों नेताओं के लिए पार्टी के अंदर कोई और भूमिका तय की हो. जिसकी वजह से उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है. वे यह भी कहते हैं कि पार्टी जानती है कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बिना कांग्रेस का चल पाना आसान नहीं है. ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटीके अंदर किसी और भूमिका में शामिल किया जाए.
कांग्रेस पार्टी ने स्टीयरिंग कमेटी (Congress Steering Committee) में जिन दो नेताओं को हरियाणा से जगह दी है, उनमें पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर पार्टी ने क्यों भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसमें जगह नहीं मिली. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हो सकता है पार्टी हरियाणा में चल रही कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को बैलेंस करने का प्रयास किया गया हो. प्रोफेसर कहते हैं कि बीते कुछ समय से जिस तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में पार्टी के एक ताकतवर नेता के तौर पर खुद को बरकरार रखे हुए हैं उससे कई नेता नाराज चल रहे हैं.