चंडीगढ़:चंडीगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव में आए दिन समीकरण बदल रहे (Chandigarh mayor election) हैं. इस समय स्थिति ऐसी हो चुकी है कि चुनाव में जीत या हार को लेकर कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है. उसकी एक वजह ये है कि कांग्रेस ने मेयर चुनाव का मैदान छोड़ दिया है. इससे अब सिर्फ भाजपा और आम आदमी पार्टी में ही टक्कर होगी. इस वक्त दोनों पार्टियों के पास 14 -14 वोट हैं. जबकि मेयर बनाने के लिए किसी एक पार्टी के पास 15 वोट का होना जरूरी है.
इस स्थिति में अकाली दल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. क्योंकि अकाली दल के पास एक सीट है. जो खुद चंडीगढ अकाली दल के प्रधान हरदीप सिंह की है. ऐसे में हरदीप सिंह जिस भी पार्टी को अपना वोट देंगे उस पार्टी का मेयर आसानी से बन जाएगा. अब तक भाजपा अकाली गठबंधन के चलते हरदीप सिंह का वोट भाजपा के पाले में ही जाता रहा है, लेकिन अकाली- भाजपा गठबंधन टूटने के बाद यह नहीं कहा जा सकता अकाली दल का यह वोट किसके खाते में जाएगा.
चंडीगढ़ अकाली दल के प्रधान हरदीप सिंह का कहना है कि फिलहाल इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि 6 जनवरी को सुखबीर सिंह बादल के साथ उनकी बैठक है इस बैठक में ही यह फैसला किया जाएगा कि वह किस पार्टी को अपना वोट देंगे. दूसरी और अगर कांग्रेस चुनाव में भाग लेती तब किंग मेकर की ताकत कांग्रेस के पास होती. कांग्रेस अगर आम आदमी पार्टी को समर्थन देती तो आम आदमी पार्टी का मेयर आसानी से बन जाता लेकिन कांग्रेस ने खुद को चुनाव से अलग कर लिया है. हालांकि अभी भी अटकलों से इनकार नहीं किया जा सकता. चुनाव के दिन कुछ भी संभव हो सकता है.
मेयर चुने जाने का पूरा गणित समझिए
चंडीगढ़ में मेयर, डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर का चुनाव 8 जनवरी को (Chandigarh Municipal Corporation Mayor Election) होगा. मेयर के लिए किसी भी पार्टी को कुल 35 पार्षदों में से कम से कम 19 के समर्थन की जरूरत होती है. अगर किसी पार्टी को 19 पार्षदों का वोट मिल जाता है तो वह अगले 5 सालों तक अपनी ही पार्टी का मेयर बनाने में सक्षम होती है. लेकिन इस बार चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. इस स्थिति में हर साल उस पार्टी का मेयर बनेगा जिसे पहली बार चुनाव में ज्यादा वोट मिलेंगे.