चंडीगढ़:तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली सीमा पर अपना डेरा जमा लिया है. किसान किसी भी कीमत पर अब पीछे हटने के मूड में नहीं हैं. वहीं जिन कृषि कानूनों को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है उसको लेकर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने कृषि एक्सपर्ट से खास बातचीत की.
'विश्व व्यापार संगठन के साथ हुए समझौते के कारण सरकार लाई कृषि कानून' कृषि एक्सपर्ट जे.एस तूर का कहना है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को सोची समझी साजिश के तहत लाई है. उन्होंने दावा किया कि भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) के एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हए हैं. जिसके तहत कोई भी देश अपने किसानों से 10 फीसदी से ज्यादा उपज नहीं खरीदेगी. सरकार ने भी इसी दिशा में इन तीन कृषि कानूनों को लागू किया है.
'निजी खरीदार करेंगे मनमर्जी'
कृषि एक्सपर्ट ने दावा किया कि इन तीन कृषि कानूनों में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है. इसके चलते मार्केट में निजी खरीदार आएंगे और वो अपनी मनमर्जी करेंगे. वहीं उन्होंने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के कानून का हवाला देते हुए कहा कि एफसीआई की स्थापना देश में किसानों की उपज को खरीदने और उनके उठान को गोदाम तक पहुंचाने के लिए हुई थी.
'नए कानून एफसीआई का अस्तित्व खत्म कर देंगे'
जे.एस तूर ने बताया कि भारत के आजाद होने के बाद पर्याप्त मात्रा में अनाज पैदा नहीं होता था और सरकार को खाने की जरूरत को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान आयात करना पड़ता था. इसके बाद केंद्र सरकार ने देश में खाद्यान बढ़ाने का फैसला लिया था. जिसके तहत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और एफसीआई की स्थापना कर उन्हें फसल खरीद का भरोसा दिया था. लेकिन जिस तरीके से अब 3 नए कृषि कानून लागू हुए हैं उससे जल्दी एफसीआई अपना अस्तित्व खो देगी और किसानों की फसलें औने पौने भावों पर बिकेगी.
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