चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र जारी है और ऐसे में बजट सत्र में जहां विपक्षी पार्टी के विधायकों की तरफ से सदन में बोलने का पुराना मौका दिए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं अब सीटिंग प्रबंधन को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.
सदन में दूसरी पंक्ति पर बैठने पर भड़के अभय
नेता प्रतिपक्ष रहे इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा में उन्हें दी गई सीट को लेकर हरियाणा विधानसभा के स्पीकर पर सवाल खड़े करते हुए नियमों का हवाला दिया है. अभय चौटाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि वो सरकार की पोल ना खोल सके, इसलिए उन्हें पीछे बैठा गया है. अभय ने कहा कि चाहे उन्हें कहीं भी बैठा दिया जाए, लेकिन वो फिर भी मुद्दे उठाते रहेंगे.
सदन में दूसरी पंक्ति पर बैठने पर भड़के अभय चौटाला, स्पीकर ने दिया करारा जवाब विधानसभा स्पीकर पर लगाए आरोप
अभय चौटाला ने कहा कि विधानसभा के स्पीकर लोकसभा और राज्यसभा के नियमों को हरियाणा विधानसभा में शुरू करने का दावा करते हैं, लेकिन लोकसभा के नियमों के अनुसार वरिष्ठ नेताओं को अगली पंक्ति में बैठाया जाता है. अभय चौटाला ने कहा कि कई बार पहली बार के सांसद जिनके अलग पार्टी होती है, उन्हें भी आगे जगह दी जाती है.
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इस दौरान अभय चौटाला ने विधानसभा में बोलने का समय न दिए जाने को लेकर भी भेदभाव के आरोप लगाए. अभय चौटाला ने विधानसभा स्पीकर समेत सभी को घेरा. अभय ने कहा कि जब भी वो कोई मामला उठाते हैं तो जानबूझकर विधानसभा में बीजेपी विधायक शोर शराबा करते हैं, जबकि हरियाणा विधानसभा के स्पीकर भी बार-बार घंटी बजाकर उन्हें बोलने से रोकते हैं.
विधानसभा स्पीकर ने दिया नियमों का हवाला
वहीं अभय सिंह चौटाला के इन आरोपों पर हरियाणा विधानसभा के स्पीकर भी नियमों का हवाला देते नजर आए. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि दाएं हाथ पर सत्तापक्ष और बाएं हाथ पर विपक्ष बैठता है. दोनों के बीच की जो जगह है, वहां पर उन्हें जगह दी गई है. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के ही बीच में उन्हें जगह नहीं दी जा सकती, जबकि मंत्री अगले स्थान पर बैठते हैं.
अभय चौटाला पर विधानसभा स्पीकर का तंज
ज्ञान चंद गुप्ता ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें जनता ने पीछे बैठाया है. जनता तय करती है कि किसे कहा बैठाना है. वहीं समय पूरा ना दिए जाने को लेकर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि हाउस के सदस्यों के हिसाब से विधानसभा की सीटिंग के आधार पर समय तय किया गया है, जिसके हिसाब से ही विधायकों को बोलने का समय दिया जाता है. प्रयास रहता है कि नए लोगों को भी बोलने का पूरा मौका मिले.