चंडीगढ़:कोरोना संकट की वजह से केंद्रीय वित्त मंत्री ने एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये के कोलेट्रल फ्री ऑटोमेटिक लोन का ऐलान किया है. सरकार का मकसद है कि लॉकडाउन में घाटे की वजह से कमजोर हो चुके सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को एकबार फिर अपने पैरों पर खड़ा किया जाए, ताकि ये छोटे उद्योग इस संकट की घड़ी में संघर्ष कर सकें और आगे बढ़ सकें. ऐसे में इस पैकेज के ऐलान होने से हरियाणा को काफी मुनाफा हो सकता है.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हरियाणा में मौजूद एमएसएमई केंद्र की 'आत्म निर्भर भारत' योजना से प्रदेश को नई ऊचाइंयों पर ले जाएंगे. प्रदेश में इस वक्त 1,00,000 से ज्यादा MSMEs हैं. जो ज्यादातर ऑटोमोबाइल, खाद्य सामग्री, कपडा, इंजीनियरिंग और मेटल पुर्जों का निर्माण करती हैं. ये प्रदेश के कुल निवेश में 20 हजार करोड़ रुपये का योगदान देती है. ये एमएसएमई दस लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है.
रिपोर्ट:क्या आर्थिक पैकेज से सुधरेगी हालत? हरियाणा की जीडीपी में 4-6 प्रतिशत हिस्सा MSMEs का
क्षेत्रफल की दृष्टि से हरियाणा केवल 1.34 प्रतिशत है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था में 4-5 प्रतिशत योगदान दे रहा है. अर्थशास्त्री बिमल अंजुम के मुताबिक पूरे भारत की जीडीपी में 4-6 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई का होता है. जिसमें हरियाणा के एमएसएमई 3-4 प्रतिशत हिस्सा अकेले देते हैं.
आर्थिक पैकेज देगा राहत
ये आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के राजस्व में इन एमएसएमई का कितना महत्वपूर्ण स्थान हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस लॉकडाउन में पूरे प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को 24 मार्च के बाद से आज तक तीन से चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. कुछ उद्योगों पर कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वो इस वक्त वेंटिलेटर पर हैं, लेकिन बुधवार को वित्त मंत्री की तरफ से माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के लिए घोषणा संजीवनी का काम करेगी.
MSMEs के लिए की गई घोषणा हरियाणा के लिए वरदान!
केंद्रीय वित्त मंत्री ने एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये के कोलेट्रल फ्री ऑटोमेटिक लोन का ऐलान किया है. इस कर्ज की समयसीमा चार साल रखी गई है. पहले वर्ष मूलधन नहीं चुकाना होगा. अच्छा प्रदर्शन करने वाली एमएसएमई को विस्तार के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. 25 लाख से एक करोड़ तक का निवेश करने वाली और पांच करोड़ तक का कारोबार करने वाली इकाई अब माइक्रो यूनिट कहलाएगी. 10 करोड़ तक तक निवेश और 50 करोड़ तक का टर्नओवर वाली यूनिट अब स्मॉल की श्रेणी में आएगी. वहीं 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली यूनिट मीडियम कहलाएगी. केंद्र के ये फैसले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को तो रिफॉर्म करेगी ही वहीं प्रदेश के राजस्व के लिए संजीवनी बूटी की तरह हैं.
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