चंडीगढ़:हरियाणा में 300 करोड़ के दवा खरीद घोटाले की जांच के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें आज डिविजन बेंच ने मामले की सुनवाई पीआईएल के तौर पर करने के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया है.
दरअसल याचिकाकर्ता जगविंदर कुल्हाड़ी, एडवोकेट प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर करके हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घपले की जांच ईडी से करवाए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि बिना ड्रग लाइसेंस वाली कंपनियों से दवाई की खरीद कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.
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उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने फतेहाबाद, हिसार ,जींद, रेवाड़ी और रोहतक जिलों में दवाइयों और जांच उपकरणों की खरीद में 125 करोड़ रुपये की अनियमितताओं के बाद दस्तावेज सार्वजनिक किए थे. साथ ही पूरे प्रदेश में दवा खरीद में करीब 300 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई थी, लेकिन उप मुख्यमंत्री बनने के बाद वो मामले को भूल गए और कभी कार्रवाई की मांग नहीं की.
क्या कहा गया है याचिका में?
याचिका में बताया गया कि हिसार के एक दवा कंपनी जिस एड्रेस पर दर्ज है. वहां फर्म की जगह धोबी बैठा था. हिसार व फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण की सप्लाई करने वाली फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद था, लेकिन तिहाड़ जेल में बंद व्यक्ति ने ना सिर्फ टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया. बल्कि स्वास्थ्य विभाग के एक व्यक्ति ने उसके झूठे हस्ताक्षर भी किए. स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी ही जेल में बंद व्यक्ति के नाम से फर्म चला रहा था.