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कथित दवा खरीद घोटाले की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजी पीआईएल

हरियाणा में कथित दवा खरीद घोटाले की जांच को लेकर डिविजन बेंच ने सुनवाई के लिए पीआईएल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजा है. बता दें कि, हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में दवा खरीद में 300 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई गई है.

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दवा खरीद घोटाला सुनवाई चंडीगढ़ हाईकोर्ट

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Published : Mar 27, 2021, 1:06 PM IST

चंडीगढ़:हरियाणा में 300 करोड़ के दवा खरीद घोटाले की जांच के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें आज डिविजन बेंच ने मामले की सुनवाई पीआईएल के तौर पर करने के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया है.

दरअसल याचिकाकर्ता जगविंदर कुल्हाड़ी, एडवोकेट प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर करके हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घपले की जांच ईडी से करवाए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि बिना ड्रग लाइसेंस वाली कंपनियों से दवाई की खरीद कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.

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उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने फतेहाबाद, हिसार ,जींद, रेवाड़ी और रोहतक जिलों में दवाइयों और जांच उपकरणों की खरीद में 125 करोड़ रुपये की अनियमितताओं के बाद दस्तावेज सार्वजनिक किए थे. साथ ही पूरे प्रदेश में दवा खरीद में करीब 300 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई थी, लेकिन उप मुख्यमंत्री बनने के बाद वो मामले को भूल गए और कभी कार्रवाई की मांग नहीं की.

क्या कहा गया है याचिका में?

याचिका में बताया गया कि हिसार के एक दवा कंपनी जिस एड्रेस पर दर्ज है. वहां फर्म की जगह धोबी बैठा था. हिसार व फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण की सप्लाई करने वाली फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद था, लेकिन तिहाड़ जेल में बंद व्यक्ति ने ना सिर्फ टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया. बल्कि स्वास्थ्य विभाग के एक व्यक्ति ने उसके झूठे हस्ताक्षर भी किए. स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी ही जेल में बंद व्यक्ति के नाम से फर्म चला रहा था.

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16 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदे गए उपकरण

इससे राज्य को वित्तीय नुकसान भी हुआ है क्योंकि 16 गुना ज्यादा दाम पर उपकरण खरीदे गए हैं. बहुत सारी कंपनियों के पास ड्रग लाइसेंस नहीं है. किराने की दुकान से खरीदी गई दवा, हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के एक चेयरमैन, उनके बेटे और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने सरकारी शह पर घोटाले को अंजाम दिया.

वहीं इस मामले में सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि इस मामले की जांच होगी. जो दोषी होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा, लेकिन लगभग 2 साल के बाद भी आज तक एक एफआईआर दर्ज नहीं हुई.

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इन सामानों की खरीद में किया गया घोटाला

फतेहाबाद में 22 रुपये का ब्लीचिंग पाउडर 76 रुपये में खरीदा गया. फेस मास्क 4.90 रुपये में खरीदा ,जबकि उसकी कीमत 95 पैसे थी. 500 ग्राम कॉटन रोल जिसका टेंडर रेट 99 रुपये था, उसे 140 रुपये में खरीदा गया. वहीं हैंड सेनीटाइजर तो 185 के स्थान पर 325 रुपये में खरीदा गया. बीपी जांचने की जो मशीन जिसकी मार्केट में कीमत 780 है. 1650 रुपये में खरीदी गई. एचसीवी कार्ड 10 रुपये का है, लेकिन उसे 45 रुपये में खरीदा गया. वहीं जींद में 2.79 रुपये की प्रेगनेंसी जांच किट पहले 6 फिर 16 और बाद में 28 रुपये में खरीदी गई. जिलों के सिविल सर्जनों ने ना केवल दवाइयों और उपकरण महंगे दाम पर खरीदे, बल्कि ऐसी कंपनियों से दवाइयों की खरीद कर ली. जो कागजों में किराने और घी का कारोबार करती हैं.

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