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हरियाणा बजट सत्र का हुआ समापन, आखिरी दिन कुल 10 विधेयक हुए पारित - हरियाणा विधानसभा बजट सत्र

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र (Haryana assembly budget session) के आखिरी दिन धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक (Anti Forcible Religion Conversion Bill) सहित कुल कुल 10 विधेयक पारित किए गए.

Haryana assembly budget session
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Published : Mar 22, 2022, 10:09 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र (Haryana assembly budget session) मंगलवार को खत्म हो गया. सत्र के 10 दिन और 50 घंटे में 12 बैठकें हुईं, जिनमें 15 विधेयक पारित किए गए. बजट पर चर्चा के लिए 74 विधायकों की आठ कमेटियां बनाई गईं. वहीं मंगलवार को धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक (Anti Forcible Religion Conversion Bill) सहित कुल कुल 10 विधेयक पारित किए गए. इनमें हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022, हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2022, हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण(संशोधन) विधेयक, 2022 आदि हैं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा बजट सत्र का समापन होने के बाद प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज विधानसभा में हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 भी पारित किया गया. इसका उद्देश्य ऐसे मामलों में कमी लाना है जिसमें जबरन या किसी गलत इरादे से धर्म परिवर्तन किया जाता है. उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों में 127 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं और कई बार तो लड़की के परिवार वाले ऐसे मामलों को रिपोर्ट ही नहीं करते, जिनकी संख्या अधिक हो सकती है.

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 साल पहले लोग अपनी जमीन सरकार को विकासात्मक योजनाओं के लिए दान में या उपहार में दे दिया करते थे. उस समय सब मौखिक रूप से होता था, लिखित में कुछ नहीं होता था. आज उनकी पीढियां कोर्ट में चली जाती हैं और दावा करते हैं कि यह जमीन हमारी है और उस पर बनी सार्वजनिक उपयोगिताओं की संपतियों को खत्म किया जाए. ऐसे मामलों से राहत के लिए ही हम हरियाणा लोक उपयोगिता के परिवर्तन का प्रतिशेध विधेयक, 2022 लेकर आये हैं. NCR में 10 साल पुराने वाहन रोकने के मसले पर ट्रैक्टर को 2025 तक छूट देने, बंदियों की पैरोल का सिस्टम तैयार करने, ट्रीटेड वेस्ट वाटर का इस्तेमाल होने व रेट जल प्राधिकरण द्वारा तय करने का बिल पास किया गया. मंगलवार को पारित किए गए बिल-

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा बजट सत्र का समापन होने के बाद प्रेसवार्ता को संबोधित किया

हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022-हरियाणा राज्य में अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवाओं से संबंधित विधि को समेकित करने तथा निर्माण कार्य में अग्नि निवारण व जीवन सुरक्षा उपाय उपलब्ध करवाने से संबंधित मामलों के लिए हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022 पारित किया गया है. इसमें अग्निशमन मंडलों, दमकल केन्द्रों तथा अन्य क्षेत्रीय संरचनाओं की स्थापना का प्रावधान है. इसके अलावा, अग्निशमन अधिकारी की नियुक्ति, शक्तियों, कर्तव्यों और कार्यों का विवरण है. अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं के सदस्यों की भर्ती किस प्रकार की जाए यह भी इस विधेयक में तय किया गया है. यदि इन सेवाओं में वृद्धि करने की जरूरत है तो इसके लिए भी नियम व शर्तें तय की गई हैं. इस विधेयक में प्रभारी अधिकारी की शक्तियों का विवरण दिया गया है.

हरियाणा लोक उपयोगिता परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2022-प्रदेश में लोक-उपयोग के लिए सड़कें, रास्ते, नालियां इत्यादि के लिए कुछ लोगों ने उदारतापूर्वक भूमि प्रदान की थी. इन संस्थापनाओं पर सार्वजनिक धन खर्च किया गया है. उन्होंने लम्बी अवधि तक बिना किसी आपत्ति के जमीन के सार्वजनिक उपयोग की अनुमति दी, लेकिन वर्तमान में भूमि की कीमतें अत्यधिक बढ़ जाने से कुछ व्यक्तियों अथवा संस्थाओं ने यह भूमि वापिस मांगनी शुरू कर दी. यही नहीं भूमि में अपने अधिकारों का दावा करके इन सार्वजनिक उपयोगिता के ढांचे को अस्त-व्यस्त अथवा नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं. इससे सड़क कनैक्टिविटी, जल आपूर्ति में व्यवधान व अन्य प्रशासनिक समस्याएं पैदा हुई हैं, जिससे जनता को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सार्वजनिक हित में इस सम्बन्ध में कानून लाना आवश्यक है. अत: यह विधेयक लाया गया है. इस विधेयक के अनुसार कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था लोक-उपयोगिता में विघ्र डालने, परिर्वतन करने या उसे नष्ट करने का हकदार नहीं होगा और न ही लोक-अधिकार तथा लाभ के लिए कोई दावा करेगा. यह विधेयक उन लोक-उपयोगी संस्थापनाओं, जैसे कि सड़के, रास्ते, नहरें, नालियां आदि पर लागू होगा जो इसे लागू करने की तिथि को 20 वर्ष या उससे अधिक समय से अस्तित्व में हैं.

हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2022- लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्य की आर्थिक भागीदारी और स्वायत्त कार्य प्रणाली के सिद्धांतों के आधार पर हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के समावेश और विनियमन के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण अधिनियम, 2018 में संशोधन करने के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2022 पारित किया गया है. प्रदेश में हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण अधिनियम, 2018 को नवगठित किया गया है. यह संशोधन इस प्राधिकरण का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जा रहा है. इसके अनुसार सरकार प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है. मुख्य कार्यकारी अधिकारी या तो प्रधान सचिव के रैंक का अधिकारी होगा या फिर कृशि क्षेत्र से कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा. उसे प्राधिकरण के कोष से सरकार द्वारा निर्धारित मासिक वेतन व भत्ते दिए जाएंगे. अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी महानिदेशक या निदेशक के रैंक का जबकि संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरियाणा सिविल सेवा सेवा का अधिकारी होगा.

हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) संशोधन विधेयक, 2022- हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) संशोधन विधेयक, 1996 को संशोधित करने के लिए हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया गया. चूंकि, हरियाणा में सीमित संसाधन हैं और राज्य में सड़क नेटवर्क के विकास के लिए निजी वित्त को आकर्षित करने के लिए, टोल की स्थापना एक अच्छा समाधान है. नई परियोजनाओं जैसे एक्सप्रेस-वे, एलिवेटेड हाईवे, बाय-पास, पुल आदि के लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए लाभदायक है. टोल टैक्स संग्रहण के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं और टोल प्लाजा का संचालन उद्यमियों के माध्यम से किया जाता है. उच्चतम निविदा राशि वाले उद्यमी को 18 महीने की अवधि के लिए काम आवंटित किया जाता है जो सरकार के खजाने में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करते हैं. यह संशोधन राज्य में टोल टैक्स देने वालों के लिए अच्छे रख-रखाव वाली सड़कें और बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाने के लिए किया जा रहा है.

हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2022- पानी के पुन: उपयोग और पुनरावर्तन सहित राज्य में जल संसाधनों के संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन के लिए लागू हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण अधिनियम, 2020 को और संशोधित करने के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है. इस संशोधन का उद्देश्य राज्य में उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को विनियमित करना है. इस समय इस पानी के पुन: उपयोग के संबंध में अनेक निर्णय व नियम है. इसलिए यह जरूरत महसूस की गई कि इसके लिए एक ही मैकेनिज्म बनाया जाए. साथ ही, पानी के सभी तरह के उपयोगों के लिए दरें भी निर्धारित करने की जरूरत महसूस की गई. इन्हीं उद्देश्यों से उक्त अधिनियम में यह संशोधन किया जा रहा है.

हरियाणा विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2022-हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) विधेयक, 2022 दोषी कैदियों को पैरोल या फरलो की रियायत प्रदान करने के लिए हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) अधिनियम, 1988 में आवश्यक प्रावधान करने के लिए हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) विधेयक, 2022 पारित किया गया है. पैरोल प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल किया गया है. जैसे पहले जिन कैदियों का खुद का मकान है, केवल उन्हें ही तीन वर्ष में एक बार मकान मरम्मत हेतू चार सप्ताह तथा जिन कैदियों के पास खेती-बाड़ी की जमीन है, उन्हें ही खेती के लिए एक वर्ष में छ: सप्ताह तक पैरोल प्रदान करने के प्रावधान हैं. अब ये शर्त हटा दी गई है. वर्तमान विधेयक में शर्तें पूरी करने वाले सभी कैदियों को एक कैलेंडर वर्ष में 10 सप्ताह की पैरोल प्रदान करने का प्रावधान था जबकि अब बिना किसी शर्त के समान रूप से सभी बन्दियों को वर्ष में अधिकतम दस सप्ताह पैरोल प्रदान की जा सकेगी. इसे कैदी एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम दो बार तक प्राप्त कर सकेंगे. वर्तमान विधेयक में फरलो की अवधि प्रथम बार तीन सप्ताह तथा उसके उपरान्त दो सप्ताह प्रति वर्ष है जबकि अब प्रत्येक वर्ष तीन सप्ताह फरलो प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है. जब कोई कैदी अपनी सजा के तीन चौथाई भाग को पूरा कर लेगा अथवा आजीवन कारावास के बन्दी अपनी दस वर्ष की वास्तविक सजा व्यतीत कर लेंगे तो उन्हें प्रति वर्ष चार सप्ताह फरलों दी जायेगी.

हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन (संशोधन) विधेयक, 2022- हरियाणा सरकार द्वारा 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राजस्व घाटे को खत्म करने एवं राजकोषीय घाटे को निर्धारित सीमा से कम करने के उद्देश्य से हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 अधिनियमित किया था. हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 के लक्ष्यों को पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अनुमोदित किसी विशेष वर्ष में प्रचलित वित्तीय मानकों के साथ संरेखित करने के उद्देश्य से इस अधिनियम को आगे संशोधिन करने के लिए हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है. तेरहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्य को वर्ष 2011-12 से वर्ष 2014-15 तक राजस्व घाटे को शून्य तथा वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य को प्राप्त करना था.

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वर्ष 2010-11 में बकाया ॠण को सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 22.4 प्रतिशत, वर्ष 2011-12 में 22.6 प्रतिशत, वर्ष 2012-13 में 22.7 प्रतिशत, वर्ष 2013-14 में 22.8 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 में में 22.9 प्रतिशत रखा जाना था. इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग के अनुसार, राज्य को राजस्व घाटे को शून्य तक लाना, राजकोषीय घाटे को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक और बकाया ऋण को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत तक रखना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय के निर्णयानुसार, राज्य सरकार वित वर्ष 2020-21 के दौरान अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की सीमा के अतिरिक्त 2 प्रतिशत ऋण और (वर्ष 2020-21 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत तक) राज्य विशिष्ट सुधारों के कार्यान्वयन के अधीन ले सकती थी. अत: राज्य सरकार द्वारा कुछ सुधारों को पूरा करने के लिए वित वर्ष 2020-21 के लिए भारत सरकार द्वारा प्रचलित सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 5 प्रतिशत की राजकोषीय घाटे की सीमा के साथ संरेखित करने के लिए वर्ष 2020 में अपने उक्त अधिनियम में संशोधन किया गया. अब राज्य सरकार केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित तथा भारत सरकार द्वारा अनुमोदित विशिष्ट वर्ष में प्रचलित सकल राज्य घरेलू उत्पाद की प्रतिशता के अनुसार राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा प्राप्त करेगी तथा बकाया ऋण सुनिश्चित करेगी.

हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022- कुछ सामाजिक संगठन अपने छिपे हुए एजेंडे के साथ धर्म-परिवर्तन के लिए समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं. ऐसे कई मामले संज्ञान में आये हैं जिसमें प्रदेश के भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्म-परिवर्तन करवाया गया है. इनमें से कुछ का जबरन धर्म परिवर्तित किया गया है. ऐसे भी मामले आये हैं कि अपने धर्म की गलत व्याख्या करके दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद ऐसी लड़कियों को धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया. इस तरह की घटनाएं न केवल व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है बल्कि हमारे समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी आघात पहुंचाती हैं. इन घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 को यथा संशोधित पारित किया गया है.

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इसमें झूठ बोलकर, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या किन्हीं कपटपूर्ण साधनों या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई गई है. धर्म-परिवर्तन-यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट को धर्म-परिवर्तन का घोषणा निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करनी होगी. धर्म-परिवर्तन का आयोजन करने का आशय रखने वाला कोई भी धार्मिक पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति जिला जिला मजिस्ट्रेट को आयोजन स्थल की जानकारी देते हुए पूर्व में नोटिस देगा. इस नोटिस की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी. यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है. जिला मजिस्ट्रेट जांच करके यह तय करेगा कि धर्म-परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघना है या नहीं है. यदि वह इसमें कोई उल्लंघना पाता है तो आदेश पारित करते हुए धर्म-परिवर्तन को अस्वीकार कर देगा.

मानव अंग प्रतिरोपण (हरियाणा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2022- हरियाणा सरकार द्वारा मानव अंगों को निकालने, उनके भण्डारण और प्रतिरोपण के विनियमन के लिए तथा मानव अंगों के वाणिज्यिक संव्यवहार की रोकथाम के लिए मानव अंग प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 लागू किया गया है. अब दाता के मानव अंगों या उतकों या दोनों के निकाले जाने, भंडारकरण या प्रतिरोपण के लिए अस्पताल द्वारा ह्यूमन ऑर्गन रिमूवल सैंटर को लिखित में सूचना देनी होगी. मानव अंग के चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए निकाले जाने के लिए पर्याप्त आधार होना चाहिए। किन्तु ऐसा अंग रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं निकाला जाएगा.

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