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क्या है PLPA कानून, जिसने हरियाणा में हंगामा खड़ा कर दिया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को लगानी पड़ी रोक

अब प्रस्ताव पास होने के बाद जिन लोगों ने अवैध निर्माण किए हुए हैं, उनसे कार्रवाई की तलवार हट जाएगी. ऐसा होने से सबसे अधिक फायदा भू-माफिया, बिल्डर, नेता व उनके रिश्तेदारों और अफसरशाही को होगा.

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Published : Mar 4, 2019, 9:08 PM IST

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने अंग्रेजों के 120 साल पुराने कानून को बदल दिया है. विधानसभा के बजट सत्र में पंजाब भू-संरक्षण अधिनियम 1900 (पीएलपीए) में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया और विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद पास कर दिया गया.

कानून में हुए संशोधन के बाद अब अरावली फोरेस्ट रेंज में भी निर्माण कार्य हो सकेंगे. यही नहीं, यह कानून शिवालिक की पहाड़ियों में भी लागू होगा. फरीदाबाद की एक कॉलोनी और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के एक सेक्टर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह संशोधन किया गया है.

क्या था पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम, 1900?

पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम, 1900(1900 का पंजाब अधिनियम 2) जो इसके बाद ‘पीएलपीए’ के रूप में संदर्भित किया जाएगा, को पंजाब की तत्कालीन सरकार द्वारा 1900 में लागू किया गया था. यह अधिनियम भूमिगत जल के संरक्षण और कटावग्रस्त क्षेत्रों या कटाव सम्भावी क्षेत्रों को संरक्षण प्रदान करता है.


पीएलपीए के पीछे की मंशा और इसका अधिकार क्षेत्र समय के साथ विकसित हुआ है. तत्काल प्रासंगिकता में बड़ा संशोधन सबसे पहले 1926 में किया गया था (1926 का पंजाब अधिनियम 7) जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य लोगों को स्वामित्व के अधिकारों से वंचित करना नहीं था.

पीएलपीए की धारा 4 और धारा 5 के अधीन जारी आदेश और अधिसूचनाएं लगभग 10,94,543 हेक्टेयर या लगभग 10,945 वर्ग किमी क्षेत्र पर लागू होते हैं. ये आदेश और अधिसूचनाएं राज्य के 22 जिलों में से 14 जिलों के भौगोलिक क्षेत्र पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से लागू होते हैं. पेड़ों की कटाई को विनियमित करने के प्राथमिक उद्देश्य से (हरियाणा राज्य में पेड़ों की कटाई को विनियमित करने के लिए एक अलग ‘वृक्ष अधिनियम’ नहीं था) पीएलपीए के इन आदेशों और अधिसूचनाओं के तहत अधिकांश क्षेत्र का लाया गया. राज्य में पेड़ों की कटाई को पीएलपीए की धारा 4 के तहत सामान्य आदेश जारी करके नियंत्रित किया जाता है.

ये है नया पीएलपीए कानून

पंजाब भूमि परिरक्षण अधिनियम-1900 में संशोधन किया गया और इस संबंध में संशोधन विधेयक-2019 को पारित कर दिया गया. इसके तहत अधिनियम की धारा, 2,3,4 और 5 में बदलाव किया गया है. इससे हरियाणा की अरावली और शिवालिक की पहाड़ियों से लगते क्षेत्रों में अब तक प्रतिबंधित निर्माण और पेड़ कटाई के रास्ते खुल जाएंगे. पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम-1900 में संशोधन का यह विधेयक 1 नवंबर 1966 से लागू माना जाएगा. इसका अर्थ यह हुआ कि जब से हरियाणा बना है उस समय से अधिनियम में संशोधन का फायदा मिलेगा.

अब क्या होगा आगे?

अब प्रस्ताव पास होने के बाद जिन लोगों ने अवैध निर्माण किए हुए हैं, उनसे कार्रवाई की तलवार हट जाएगी. ऐसा होने से सबसे अधिक फायदा भू-माफिया, बिल्डर, नेता व उनके रिश्तेदारों और अफसरशाही को होगा.

अरावली में अनंगपुर-लक्कड़पुर में अवैध तौर से करीब 150 फार्म हाउस बने हैं. इनमें से 90 में बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन हैं, जबकि बाकी में चारदीवारी के अलावा, छिटपुट निर्माण किए गए हैं. कई फार्म हाउस में स्विमिंग पूल तक बने हैं. यह खुलासा बड़खल के तत्कालीन एसडीएम अजय चोपड़ा द्वारा अक्टूबर 2018 में किया गया था.


अरावली व शिवालि‍क की पहाड़ियों में अब पेड़ों की कटाई और भवन निर्माण कार्य संभव हो सकेगा. इसके प्रस्ताव से फरीदाबाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर-21 सी पार्ट तीन सहित 44,45 और 46 के उन आवंटियों को भी राहत मिल गई. ये आवंटी प्लाट आवंटन के बावजूद प्रतिबंधित वन क्षेत्र के दायरे में आने के कारण रिहायशी सुविधा से वंचित थे.

पीएलपीए संशोधन से गुरुग्राम की करीब 10000 एकड़ जमीन अरावली से बाहर हो गई है. यह जमीन घाटा, बंधवाड़ी, बालियावास, सकतपुर, दमदमा, मंडावर, रायसीना, भौंडसी आदि की है.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई बिल पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा विधानसभा के इस बिल पर सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण की इजाजत देने वाले हरियाणा के कानून पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस अरुण मिश्र की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद निर्माण की अनुमति देने वाला कानून पारित करना आदेशों का उल्लंघन है.


जस्टिस अरुण मिश्र ने हरियाणा सरकार से कहा कि आप जंगलों की कीमत पर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. हमारी चेतावनी के बावजूद यह कानून ले आए. नया कानून लागू करने की कोशिश न करें नहीं तो अवमानना का केस चलाया जाएगा. आप सुप्रीम नहीं, कानून का शासन सुप्रीम है.

सुप्रीम कोर्ट में केस डिफेंड करेगी सरकार

एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में फरीदाबाद के कांता एन्क्लेव का मामला था. उसी में पीएलपीए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश दिए हैं. अभी कॉपी नहीं मिली है. कॉपी मिलने के बाद उसका अध्ययन किया जाएगा. यदि सुप्रीम कोर्ट जवाब मांगेगा तो दिया जाएगा. मामले को डिफेंड किया जाएगा. अभी एक्ट में संशोधन बिल विधानसभा में पास हुआ है. इस पर राज्यपाल की मुहर बाकी है.

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