चंडीगढ़: भले ही लोकसभा चुनाव अधिकतर राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर लड़े जाते है, लेकिन जब राज्य में भी उसी दल की सरकार हो जिसकी केंद्र में है तो ऐसे में उसके कार्य भी चुनाव में मतदाताओं के रुख के लिए अहम होते हैं.
इसलिए इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी शासित राज्यों की साख भी दांव पर है. हरियाणा में साढ़े चार साल से बीजेपी की सरकार सीएम मनोहर लाल के नेतृत्व में चल रही है. प्रदेश सरकार की उपलब्धियां और नाकामियां भी कुछ हद तक लोकसभा चुनाव में मतदान के दौरान मतदाताओं के जेहन में रहेगी. हरियाणा की मनोहर लाल सरकार की बात की जाए तो कई ऐसी उपलब्धियां हैं जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा दे सकती है, लेकिन कई नाकामियां भी हैं जो मतदाताओं के रुख पर असर डाल सकती है.
खट्टर सरकार के लिए परेशानियां
हरियाणा की खट्टर सरकार जब 2014 में बनी तो हरियाणा के लोगों ने अपने इतिहास से अलग जातपात के सभी भेदभाव को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिया. हरियाणा में पहली बार नॉन जाट मुख्यमंत्री बना. इससे पहले जो मुख्यमंत्री रहे उनमें जाट समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्रियों की संख्या अधिक रही है. सीधे तौर पर माना जा सकता है की हरियाणा में जाट समुदाय काफी प्रभाव रखता है.
जाट आरक्षण आंदोलन
वहीं जाट आरक्षण आंदोलन सरकार के लिए परेशानियां खड़ा करने वाला रहा. इस आंदोलन में 8 जिलों में सभी वर्ग और समुदाय के लोगों को आरक्षण आंदोलन से जूझना पड़ा था. आंदोलन के दौरान जहां कई लोगों को अपनी जाने गंवानी पड़ी. वहीं भारी संख्या में आम लोगों को आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ी थी. हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन में सरकार पर भाईचारा खराब करने का आरोप विपक्षी पार्टियों ने लगाया जो अभी तक सरकार को झेलना पड़ता है. आरक्षण आंदोलन को काबू करने में सरकार की लेटलतीफी और भारी नुकसान बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भारी मुश्किलों में डाल सकता है.
जाटों को आरक्षण का वादा सरकार ने तो पूरा किया, मगर हाई कोर्ट में इसपर मामला लंबित है. जाट समुदाय के कुछ प्रतिशत लोग अभी भी इस मांग को उठाते रहते हैं, इसलिए चुनाव के दौरान ये मुद्दा सरकार को नुकसान में डाल सकता है. आरक्षण आंदोलन में आम लोगों की हानि, आम लोगों को आरक्षण आंदोलन में हुआ नुकसान सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
राम रहीम
2014 में खट्टर सरकार जब सत्ता में आई तो माना जाता है कि इसमें राम रहीम के आशीर्वाद ने भी अहम भूमिका निभाई. हरियाणा में सरकारें बनाने में डेरा हमेशा अहम भूमिका निभाता रहा है, लेकिन राम रहीम को सजा के दौरान पंचकूला में हुआ आंदोलन और आगजनी भी सरकार के दामन पर अभी तक उस दाग की तरह है जो पूरी तरह धूल नही पाया है. इस आंदोलन में करीब 30 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
राम पाल
राम पाल के हिसार स्तिथ बरवाला में कई दिनों तक रामपाल के समर्थक और पुलिस आमने-सामने रहे. इस दौरान बरवाला में जोरदार हंगामा बरपा रहा. अभी राम पल तो जेल में है,लेकिन राम पाल के समर्थक लोकसभा चुनाव में सरकार को कुछ चोट कर सकते हैं.
बेरोजगारी एक समस्या
हरियाणा में बेशक सरकार पूरी तरह से निष्पक्ष तौर पर नौकरियां देने की बात करती रही है, मगर हरियाणा में बेरोजारो की संख्या कई लाख है जो सरकार से नौकरियों की आस लगाए बैठे थे. बेरोजगार युवा सरकार से निराश दिखाई देता है, क्योंकि सरकार ने जितनी नौकरियों का वादा घोषणा पत्र में किया था. वो अभी तक पूरा नहीं हुआ. ऐसे में बेरोजगार युवा लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चोट पहुंचा सकते हैं.
नोटबंदी
नोट बंदी का समर्थन बेशक कुछ हद तक सरकार को मिला, मगर इससे भी बेरोजगारों की संख्या काफी ज्यादा प्रभावित हुई.
छोटे रोजगार
हरियाणा में छोटे रोजगारो को नोटबंदी के बाद काफी नुकसान हुआ. अम्बाला और पानीपत समेत कई क्षेत्रों में छोटे उद्योगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा.
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी
हरियाणा के लोगों को उम्मीद थी कि सरकार प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों पर नकेल कसेगी, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की मनमानियां लगातार जारी हैं. जिसके चलते अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने वाले माता-पिता की प्राइवेट स्कूल जेब काट रहे है. जो परेशानी पैदा कर सकता है.
कर्मचारियों की नाराजगी
कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार सरकार से आमने-सामने रहे. सरकार ने अपने कार्यकाल में एस्मा का जिस तरह से प्रयोग करके आंदोलनों को दबाया उससे कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ा. बिजली, स्वास्थ्य व रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर आंदोलन दबाना सरकार को भारी पड़ सकता है.
रुट परमिट
रोडवेज कर्मचारियों और सरकार के बिच जिस तरह से 500 रुट परमिटों को लेकर टकराव हुआ वो भी बड़ा मुद्दा है. सरकार पर कर्मचारी लगातार रुट परमिटों में धांधली का आरोप लागाते रहे, मगर सरकार ने आंखें बंद रखी. अब इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं.
पंजाब के समान वेतन मान लंबित
हरियाणा कर्मचारियों को बीजेपी के घोषणा पत्र में किया गया पंजाब के समान वेतन मान देने का वादा अभी भी लंबित है. जिसपर सरकार की अभी तक राय स्पष्ट नजर नहीं आती है. इसको लेकर सरकार का टालमटोल रवैया परेशानी खड़ी कर सकता है. इसके अलावा कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने समेत कई वादे अभी अधर में हैं.
रॉबर्ट वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामला
रॉबर्ट वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामले में लगातार सरकार चुनाव से पहले इस मामले को उठती रही, मगर इस मामले में हुई लेटलतीफी ने सभी का ध्यान खींचा.
एसवाईएल अभी दूर
एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वाहवाही लूटने वाली हरियाणा सरकार एसवाईएल का पानी अभी तक हरियाणा में नहीं ला सकी. दक्षिण हरियाणा की जीवन रेखा कहे जाने वाले एसवाईएल का किसानों को अभी भी इन्तजार है.
लगातार बढ़ता हरियाणा पर आर्थिक बोझ
हरियाणा पर कर्जा लगतार बढ़ रहा है जिसको अभी तक सरकार रोकने में नाकामयाब साबित हो रही है.
खाद व गन्ना किसानों का बकाया
गन्ना किसानों को अपने बकाये के लिए काफी लटकना पड़ा. वहीं इस सरकार में खाद की बिक्री की समस्या से भी किसानों को दो चार होना पड़ा.