चंडीगढ़/हैदराबाद:तेलंगाना की राजधानी को महिलाओं के लिये सुरक्षित शहर बनाने की एक कोशिश है 'SHE' मुहिम. इस कैंपेन को सफल बनाने वाली आईजी लॉ एंड आर्डर स्वाति लकड़ा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने इस मुहिम से जुड़ी जरूरी बातें साझा कीं, साथ ही बताया कि आखिर SHE का मकसद क्या है और अब तक महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने में इस मुहिम की क्या भूमिका रही है.
साल 2014 में शुरू हुई मुहिम SHE टीम अब तक 10 हजार से ज्यादा महिलाओं से संबंधित मामलों का निपटारा कर चुकी है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में आईजी लॉ एंड आर्डर स्वाति लकड़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पहल पर इस कैंपेन की शुरुआत हुई थी. तब से अबतक हैदराबाद शहर में शुरू हुई इस कोशिश को विश्वस्तर पर पहचान मिल चुकी है. इस कामयाबी के लिये IPS स्वाति लकड़ा को कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
महिलाओं के लिये सुरक्षित वातावरण तैयार करने की उनकी इस मुहिम को हम्फ्रे लीडरशिप अवार्ड, प्रेसियस डॉटर ऑफ इंडिया जैसे कई सम्मान स्वाति लकड़ा को मिल चुके हैं. लकड़ा और उनकी टीम ने SHE कैंपेन को घर-घर पहुंचाने के लिये काफी मेहनत की है. जन-जन तक इस मुहिम को पहुंचाने के लिये कई कैंपेन किये गए.
दो तरीकों से काम करती है टीम
SHE टीम मुख्यत: दो तरीके से काम करती है. एक तरीका है स्वत: संज्ञान. इसका मतलब ये कि खुद से केस दर्ज करती हैं. एक टीम में पांच लोग होते हैं, जिनमें कम से कम एक महिला होती ही है ताकि टीम के पास पहुंचने वाली महिलाएं अपनी बात सही ढंग से रख पाएं. ये टीम एक हॉट स्पॉट चुनती है. वो ऐसा स्थान होता है जहां महिलाओं को लेकर अपराधिक वारदातें ज्यादा हो रही हों. टीम के पास सीक्रेट कैमरा होते हैं. इसके जरिये वो उस स्थान पर नजर रखते हैं. कोई वारदात हो रही हो तो उसे रिकॉर्ड कर तुरंत मजिस्ट्रेट के सामने रखा जाता है. सबूत के आधार पर दोषी पर तुरंत एक्शन भी लिया जाता है.
दूसरा तरीका- पीड़ित खुद शिकायत लेकर टीम के पास पहुंचते हैं. इसके लिये कई प्लेटफॉर्म दिये गए हैं. अगर कोई इमरजेंसी हो सीधे 100 नंबर डॉयल कर सकते हैं. 100 डॉयल करने के 7 मिनट के अंदर ही गाड़ी घटनास्थल तक पहुंच जाती है. इसके साथ ही हर जिले में SHE टीम के पास वाट्सएप नंबर है. सोशल मीडिया के जरिये भी टीम से जुड़ सकते हैं. मोबाइल एप hawk eye के जरिये भी टीम से जुड़ा जा सकता है. इसके अलावा, हर जिले में SHE टीम ऑफिस है. ये ऑफिस पुलिस स्टेशन से अलग हैं. इसलिये महिलाओं को टीम के पास पहुंचने में परेशानी नहीं होती.