चंडीगढ़: 15 जुलाई को होने वाली चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में ISRO जुटा हुआ है. चंद्रयान-2 भारत का दूसरा मून मिशन है. चंद्रयान-2 मिशन 15 जुलाई को रात 2.51 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान 6 या 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा. जिसके साथ ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
चंद्रयान-2 को तैयार करने में लगे 11 साल
चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह, वातावरण, विकिरण और तापमान का अध्ययन करेगा. इसे तैयार करने में करीब 11 साल लग गए. लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए जी-जान लगा दी.
चंद्रयान-1 से चंद्रयान-2 कैसे एक कदम आगे है, जानिए
- इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद की सतह पर भेज चुके हैं
- अभी तक किसी भी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास यान नहीं उतारा है
- यह पहला ऐसा अंतरग्रहीय मिशन है, जिसकी कमान दो महिलाओं के पास है
- प्रॉजेक्ट डायरेक्टर एम. वनीता और मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल इस मिशन में शामिल हैं
- यह मिशन पूरी तरह स्वदेशी है, जिसे ISRO ने तैयार किया है
- जो अंतरिक्ष यान धरती से छोड़ा जाएगा, उसके 2 हिस्से हैं
- पहला लॉन्च वेहिकल GSLV MK III रॉकेट और दूसरा चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 की खास बातें
- लॉन्च होगा: 15 जुलाई 2019 को, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से
- वजन: 3800 किलो
- कुल कितना खर्च: 1000 करोड़ रुपये
- चांद पर कितने दिन बिताएगा: 52 दिन
चंद्रयान-2 के 3 हिस्से
लैंडर:
- लैंडर का नाम रखा गया है विक्रम
- इसका वजन 1400 किलो और लंबाई 3.5 मीटर है
- इसमें 3 पेलोड (वजन) होंगे
- यह चंद्रमा पर उतरकर रोवर स्थापित करेगा
ऑर्बिटर:
- ऑर्बिटर का वजन 3500 किलो और लंबाई 2.5 मीटर है
- यह अपने साथ 8 पेलोड लेकर जाएगा. यह अपने पेलोड के साथ चंद्रमा का चक्कर लगाएगा.
- ऑर्बिटर और लैंडर धरती से सीधे संपर्क करेंगे लेकिन रोवर सीधे संवाद नहीं कर पाएगा
रोवर:
- इसका नाम है प्रज्ञान, जिसका मतलब होता है बुद्धि
- इसका वजन 27 किलो होगा और लंबाई 1 मीटर
- इसमें 2 पेलोड होंगे, यह सोलर एनर्जी से चलेगा
- अपने 6 पहियों की मदद से चांद की सतह पर घूम-घूम कर मिट्टी और चट्टानों के नमूने जमा करेगा.
ऐसे होगी लैंडिंग
- लॉन्च के बाद धरती की कक्षा से निकलकर चंद्रयान-2 रॉकेट से अलग हो जाएगा.
- रॉकेट नष्ट हो जाएगा और चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा.
- इसके बाद लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा.
- ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगाना शुरू कर देगा.
- लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा और वहां की छानबीन करेगा.
- यान को उतरने में लगभग 15 मिनट लगेंगे.
- तकनीकी रूप से यह लम्हा बहुत मुश्किल होगा.
- भारत ने पहले कभी ऐसा नहीं किया है.
- लैंडिंग के बाद रोवर का दरवाजा खुलेगा.
- लैंडिंग के बाद रोवर के निकलने में 4 घंटे का समय लगेगा.
- फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा.
- इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी.
ये हैं चुनौतियां
- हमारी धरती से चांद करीब 3,844 लाख किमी दूर है इसलिए किसी भी मैसेज को यहां से वहां पहुंचने में कुछ मिनट लगेंगे.
- सोलर रेडिएशन का भी असर चंद्रयान-2 पर पड़ सकता है.
- वहां सिग्नल कमजोर हो सकते हैं.
- बैकग्राउंड का शोर भी कम्युनिकेशन पर असर डालेगा.