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भिवानी: नई आबकारी नीति पर स्वराज इंडिया पार्टी ने उठाए सवाल, उपमुख्यमंत्री को लिखा पत्र

स्वराज इंडिया के महासचिव दीपक लाम्बा ने नई आबकारी नीति पर सवाल उठाए हैं. साथ ही साथ हरियाणा के उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से हरियाणा सरकार से मांग की हैं कि आबकारी नीति में तुरंत प्रभाव से बदलाव करें.

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Published : Feb 26, 2020, 3:53 PM IST

भिवानी: नई आबकारी नीति पर सवाल उठाते हुए स्वराज इंडिया के महासचिव दीपक लाम्बा ने हरियाणा के उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. ये जानकारी देते हुए स्वराज इंडिया के महासचिव दीपक लाम्बा ने बताया कि उन्होंने 5 प्रमुख बिंदुओं को इस पत्र में उठाया है. उन्होंने बताया कि नई आबकारी नीति में सीधे तौर पर उल्लेख है कि हरियाणा सरकार इस साल ठेकों की संख्या 2500 से बढ़ाकर 2600 करने वाली हैं, जो सीधे तौर पर हरियाणावासियों को शराब की तरफ ले जाने में सहायक होगा.

इस नीति में L-50 लाइसेंस का जिक्र किया है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति मात्र 1500 की फीस देकर अपने घर में 24 बोतलें शराब रख सकता है. सरकार की ये नीति सीधे तौर पर शराब की होम डिलीवरी का काम करेगी. साथ ही साथ गांव- देहात का हर घर एक छोटे ठेके के रूप में स्थापित हो जाएगा.

नई आबकारी नीति पर स्वराज इंडिया पार्टी ने उठाए सवाल, देखें वीडियो

लम्बा ने बताया कि नई आबकारी नीति में प्रमुख शहरों के बार और रेस्तरां में शराब बिक्री अवधि को रात के समय बढ़ाया गया है और इसके साथ-साथ, कुछ फीस का भुगतान करने के बाद बार-मालिक इस सुविधा के तहत गुड़गांव, फरीदाबाद और पंचकूला में सुबह के 3 बजे तक शराब का कारोबार कर सकेगा. ये बढ़ाई गई ये समय सीमा की अवधि, महिला सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक साबित होगी. सरकार की इस नीति में कुछ कम अल्कोहल वाली शराब बीयर के करो में 18 से 20 प्रतिशत की छूट दी गई है, जो कि प्रदेश के युवाओं को कम कीमत पर शराब के साथ बियर उपलब्ध कराने का एक तरीका साबित होगा.

'आबकारी नीति में तुरंत प्रभाव से हो बदलाव'

उन्होंने इस पत्र के माध्यम से हरियाणा सरकार से मांग की हैं कि आबकारी नीति में तुरंत प्रभाव से बदलाव करके, शराब के ठेकों को बढ़ाने की बजाए कम करने का टाइम बाउंड लक्ष्य निर्धारित करें. सात ही आने वाले वर्षों में इसे एक चौथाई तक लेकर जाए. L-50 लाइसेंस की स्कीम को लागू करने से रोका जाए ताकि हर घर को ठेका बनने से बचाया जा सके. युवा पीढ़ी को शराब के प्रति नीतिगत लुभाने की बजाए, शराब पर कर राशि बढ़ा कर, उसे युवाओं की आर्थिक पहुंच से दूर किया जाए.

सरकार को आसान किंतु खतरनाक शराब बिक्री कर प्राप्त करके प्रदेश का प्रति व्यक्ति 63 हजार रुपए के कर्जा को कम करने की सोचने की बजाय अच्छी गवर्नेंस, जनकल्याणकारी और व्यापारिक नीति लेकर आए ताकि ग्रामीण और प्रदेश की अर्थव्यवस्था ठीक की जा सके. सरकार को प्राप्त हुए 704 गांवो की शराब ठेका बंदी के आवेदनो की नाम सूची, तुरंत सार्वजनिक की जाए.

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