भिवानी: कहा जाता है, जज्बे और जुनून के आगे पहाड़ भी बौने बन जाते हैं. जिले के गांव कुंगड़ के छोरे अक्षय गोयत ने इसी कहावत को चरितार्थ किया है. अक्षय ने इस बार दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में असम राइफल्स की टुकड़ी की कमान संभाली. यह जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा है. अक्षय के पिता जोगिंद्र सिंह गोयत गणित के अध्यापक हैं. उन्होंने बताया कि अक्षय जब छह वर्ष का था, उस समय एक बार उसने गणतंत्र दिवस की परेड को देखकर सैनिक की वर्दी पहनकर परेड करने की जिद्द की थी.
उस समय अक्षय के पिता ने कहा था कि यह कोई सामान्य काम नहीं है. इसके लिए पहले फौज में ऑफिसर बनना पड़ता है और बाद में परेड की टुकड़ी में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है. बेटे ने आज अपना सपना पूरा कर दिखाया है. परिजनों की माने तो अक्षय बचपन से ही फौज में अफसर बनना चाहता था. जैसे जैसे वह बड़ा होता गया, अपनी जिद्द को दोहराता गया. परिजनों ने अक्षय की जिद्द के अनुसार ही उसका ध्यान उसके लक्ष्य पर केंद्रित करवाया.
पढ़ें:गणतंत्र दिवस 2023: डॉ. बख्शी राम को मिला पद्मश्री सम्मान, हिसार से है विशेष नाता
अक्षय ने भी इसके लिए कड़ा परिश्रम किया और लगभग 12 वर्ष बाद दिसंबर 2013 में अक्षय का एनडीए में चयन हो गया. वर्ष 2017 में देहरादून से पास आउट होकर कमीशन प्राप्त करने में सफल हुआ. जब वह पास आउट हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी उसके दादा मास्टर शेर सिंह और दादी चातर देवी को हुई. वे दोनों अपने पोते की पास आउट परेड को देखने देहरादून पहुंचे थे. जोगेंद्र ने बताया कि अक्षय की नौकरी की शुरुआत भी हिसार कैंट से ही हुई.