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भिवानी के किसानों के लिए राहत की बारिश, फसलों को होगा फायदा

पश्चिमी विक्षोभ के चलते पिछले दो दिनों से भिवानी में मौसम का मिजाज बदल गया है. दो दिनों से हो रही बारिश के चलते तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. जिसके चलते मौसम में भी ठिठुरन बढ़ी है. ठंडक के चलते लोग घर में ही दुबके रहे है. वहीं इस बारिश से भिवानी के किसानों के चेहरे एक बार फिर से खिल उठे हैं.

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भिवानी के किसानों के लिए राहत की बारिश

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Published : Dec 13, 2019, 2:16 PM IST

भिवानीःहल्की बारिश के साथ बढ़ी ठंड ने लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद करवा दिया है. सड़कों पर उन्हीं लोगों के वाहन दौड़ते नजर आ रहे हैं, जिन्हें कोई जरूरी काम करना हो. मौसम के नाजुक रवैये को देखकर अन्य दिनों की तुलना में लोगों की आवाजाही भी कम हो रही है. वहीं बारिश और ठंड से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. किसानों का कहना है कि ये बारिश नहीं उनके लिए सोना बरस रहा है.

किसानों के लिए बरसा 'सोना'

गुरुवार से ही रुक-रुक कर हो रही बारिश से शहर के तापमान में गिरावट दर्ज की गई. हल्की बारिश के साथ ही शहर में ठंड के तेवर भी बढ़ गए. हालांकि एक ओर ये बारिश जहां आमजन के लिए परेशानी खड़ी कर रही है तो वहीं किसानों के लिए ये राहत लेकर आई है.

भिवानी के किसानों का कहना है कि इससे पानी की कमी दूर होगी और बारिश का पानी उनकी फसलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. सरसों, गेहूं और सब्जियों की फसल के लिए तो ये बारिश अमृत के समान है.

फसलों के पैदावार में बढ़ोतरी के आसार
पिछले दो दिनों से हो रही बारिश गेहूं, सरसों और चने की फसल के लिए जीवनदायी मानी जा रही है. लेकिन अगर किसी क्षेत्र में ओलावृष्टि होती है तो ये किसानों के लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है. दिसंबर महीने के बीच में होने वाली बारिश रबी की फसल के लिए बेहतरीन मानी जाती है. इस मौसम में फसलों को सिंचाई की बेहद आवश्यकता होती है. फसलों में इसी वक्त फुटाव होता है. इस बारिश से औसतन पैदावार में भी वृद्धि होने की संभावनाएं बढ़ जाती है.

भिवानी के किसानों के लिए राहत की बारिश

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हाल ही में बिजाई करने वाले किसानों के लिए परेशानी
वहीं कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बारिश सरसों और चने के लिए फायदेमंद है, क्योंकि दोनों फसलों में फुटाव हो रहा है और इन्हें इस समय पानी की जरूरत भी है. विभाग के मुताबिक जिन लोगों ने दो-चार दिन पहले बिजाई की है, इस बारिश से उनके बीज पर पपड़ी जम जाएगी. जिन किसानों के जमीन सख्त है, उनके लिए भी परेशानी बनेगी, क्योंकि उन्होंने गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार कर रखे थे. लेकिन नरम भूमि वाले किसानों को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.

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