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भिवानी: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मुर्राह भैंस और गाय की नस्ल के कटड़ों और बछड़ों को किया जाएगा तैयार

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रदेश की मुर्राह भैंस और गाय की नस्ल के 500 कटड़ों और बछड़ों को तैयार किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में करीब 5 साल लगेंगे और 25 करोड़ रूपये की लागत आएगी.

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राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मुर्राह भैंस और गाय की नस्ल के कटड़ों और बछड़ों किया जाएगा तैयार

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Published : Feb 16, 2021, 5:21 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 5:30 PM IST

भिवानी: देश को दुग्ध क्रांति में अग्रणीय स्थान पर खड़ा करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के पशुपालन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत अब भिवानी के कटड़ा फॉर्म में 500 मुर्राह नस्ल और हरियाणा नस्ल के कटड़ों व बछड़ों को तैयार किया जा रहा है, जो उच्च गुणवत्ता और अधिक दुग्ध उत्पादन वाली नस्लों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.

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राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देश में 13 स्थानों पर उच्च गुणवत्ता वाले कटड़ों और बछड़ों को अधिक दुग्ध उत्पादन क्षमता के सीमेन तैयार करने के लिए निर्णय लिया गया है जिनमें से हरियाणा के भिवानी का कटड़ा फॉर्म को भी राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत चुना गया हैं क्योंकि हरियाणा दुग्ध उत्पादन के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मुर्राह भैंस और गाय की नस्ल के कटड़ों और बछड़ों किया जाएगा तैयार

केंद्र सरकार की टीम ने भिवानी के कटड़ा फॉर्म का दौरा करने के बाद इस दुग्ध क्रांति को बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी. इस प्रोजेक्ट के हरियाणा कोर्डिनेटर डॉ. ओपी यादव और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कल्पना सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा का काला सोना कही जाने वाली मुर्राह भैंस और हरियाणा गाय की नस्ल के 500 कटड़ों और बछड़ों को यहां तैयार किया जा रहा हैं.

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इस दौरान उनकी अनुवांशिकी गुणवत्ता को जांचा जा रहा हैं और इन बछड़ों व कटड़ों में टीबी, जोनीडिसीज, बुरसोलॉसिस और अन्य ट्रांसमिट होने वाली बीमारियों का डाटा इनकी गुणवत्ता व खुराक सभी का ध्यान रखते हुए छंटनी के आधार पर 500 कटड़ों व बछड़ों को तैयार किया जाएगा.

25 करोड़ रूपये की लागत से पूरा किया जाएगा प्रोजेक्ट

डॉ. कल्पना सिंह ने बताया कि इन 500 कटड़ों और बछड़ों को तैयार करने में 25 करोड़ रूपये की लागत आएगी और 5 वर्षों में इस प्रोजेक्ट को पूरा कर दिया जाएगा. जिसके बाद तैयार हुए कॉफ को केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय की कमेटी द्वारा चयन करके देश के दुग्ध उत्पादक राज्यों और जिलों तक भेजा जाएगा.

गौरतलब है कि दूध-दही का खाणा, ये मेरा हरियाणा के नाम से हरियाणा प्रदेश की पहचान पहले से ही रही है. अब ऐसे में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत हरियाणा एक बार फिर से दुग्ध क्रांति को आगे बढ़ाने में अग्रणीय भूमिका निभा रहा है.

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यहां से पैदा होने वाले कॉफ के सीमैन से 20 से 25 किलो उत्पादन वाली भैंसोंं को तैयार किया जा सकेगा और इनसे पैदा होने वाली भैंस विभिन्न बीमारियों से मुक्त होंगी जिससे पशुपालन विभाग का टीकाकरण का खर्च भी बचेगा.

Last Updated : Feb 16, 2021, 5:30 PM IST

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