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नंदगांव की लठमार होली तो देखी ही होगी, अब हरियाणा की कोरड़ा मार होली के नाजारे भी देखिए - हरियाणा कोरड़ा मार होली परंपरा

आज होली का खुमार हर किसी के सिर पर चढ़ा हुआ है. ऐसे में हरियाणा की स्पेशल कोरड़ा होली का जिक्र ना किया जाए तो शायद बेमानी ही होगा. देखिए हरियाणा की विशेष होली की छटा.

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नंदगांव की लठमार होली तो देखी ही होगी, अब हरियाणा की कोरड़ा मार होली के नाजारे भी देखिए

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Published : Mar 29, 2021, 2:26 PM IST

भिवानी:वक्त के साथ तौर तरीके बदले हैं और जमाना भी बदला है, लेकिन आज भी परंपराए जिंदा हैं. खास कर त्यौहारों के मौके पर हरियाणा में जिस तरह लोक संस्कृति की झलक दिखती है शायद ही किसी दूसरे प्रांत में ऐसी छटा दिखती होगी.

हरियाणा की लोक संस्कृति की छटा देखनी है तो यहां के गांवो में देखी जा सकती है. मजबूत रस्सी से इन युवाओं की पिटाई कर रही ये महिलाएं और युवकों की ऐसी बानगी तो होली के मौके पर हरियाणा के गांवों में देखने को मिलती हैं.

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होली के दिन हरियाणा के गांवों की गलियों में जिस कदर हुड़दंग मचता है वो देखने लायक होता है. मजबूत रस्सी से युवकों की पिटाई प्रत्येक होली के मौके पर हरियाणा में देखने को मिलती है. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खासकर विवाहित महिलाएं अपने देवरों के साथ होली खेलती हैं, इस कदर मजबूत रस्सियों से बनाए गए कोरड़ों से वे अपने देवरों के शरीर पर मार करती हैं कि देखने वालों के भी पसीने छूट जाएं. इस मार को सहन करने वाले भी त्यौहार का मजा ही लेते हैं और होली खेलते समय उन्हें मार की परवाह भी नहीं होती है.

हरियाणा की कोरड़ा मार होली के नाजारे देखिए

इन कोरडों की मार से बचने के लिए देवर लाठी-डंडों का इस्तेमाल कोरड़ों को रोकने के लिए करते हैं और महिलाओं को पानी से भिगोकर होली ये त्यौहार मनाते हैं. ऐसी ही होली खेलने वाली महिलाओं का कहना है कि जब तक शरीर पर निशान ना पड़ जांए तब तक होली बेमजा है.

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वहीं शहरी इलाकों में अब परंपराएं बदलने के चलते रंगों और गुलाल का चलन अधिक बढ़ा है. होली के रंगों से युवा वर्ग सराबोर दिख रहा है. हर कोई होली के इस हुड़दंग में शामिल है चाहे युवा हो या बच्चे. होली का हुड़दंग कुछ ऐसा है कि जिसे भी रंगो, वह बुरा नहीं मानता.

हालांकि समय बदला है तथा पीढी दर पीढ़ी दर पीढ़ी विचार भी बदल रहे हैं तो त्यौहार की परंपरा कम नहीं हुई है, आज भी बरसों पहले अपने अंदाज में मनाई जाने वाली होली होली की तर्ज पर ही होली मनाए जाने का चलन कायम है.

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