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हरियाणा में छात्र स्वेच्छा से कर सकेंगे संस्कृत, पंजाबी और उर्दू के विषय का चयन, अध्यापकों की भी होगी भर्ती

हरियाणा में अब छात्र तीसरी भाषा के रूप में स्वेच्छा से (Haryana students choose third language subject) संस्कृत, पंजाबी व उर्दू भाषा में से किसी एक का चयन कर सकेंगे. इसके साथ ही इन भाषाओं के शिक्षकों की भी भर्ती होगी.

Haryana students choose third language subject
हरियाणा में छात्र स्वेच्छा से कर सकेंगे तीसरी भाषा के विषय का चयन

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Published : Apr 14, 2023, 2:57 PM IST

भिवानी: हरियाणा के बच्चे नई शिक्षा नीति के तहत अब संस्कृत, उर्दू व पंजाबी में से कोई भी एक भाषा अपने मुताबिक पढ़ सकेंगे. बोर्ड स्तर पर एकेडमिक ब्रांच की कमेटी ने इसको पारित कर दिया है. वहीं शिक्षा मंत्री ने भी बोर्ड चेयरमैन को इसके लिए हरी झंडी दे दी है. ऐसे में इसे मंजूरी के लिए जल्द ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में रखा जाएगा. हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड चेयरमैन के अनुसार अब जल्द ही यह निर्णय हरियाणा बोर्ड के अंतर्गत सभी स्कूलों में लागू होगा. भिवानी संस्कृत महाविद्यालय में प्रदेश भर के संस्कृत अध्यापक एकत्रित हुए और उन्होंने इसके लिए बोर्ड चेयरमैन को धन्यवाद दिया.

प्रदेश भर के संस्कृत अध्यापक भिवानी संस्कृत महाविद्यालय में एकत्रित हुए. संस्कृत अध्यापकों ने एकत्रित होकर बोर्ड चेयरमैन से मांग की है कि हरियाणा में त्रि-सूत्रीय फार्मूला जल्द लागू किया जाए. जिस पर बोर्ड चेयरमैन ने इस फैसले को जल्द ही हरियाणा में लागू करने की बात की है. वहीं संस्कृत भाषा के प्रेमी भी काफी खुश है. उनका कहना है अब त्रिसूत्रीय भाषा लागू होने के बाद तीनों विषयों के लिए शिक्षक भर्ती होंगे.

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इसके साथ ही देश की संस्कृति भी जिंदा रहेगी. हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. वीपी यादव ने बताया कि एकेडमिक ब्रांच ने इस पर मुहर लगा दी है. जल्द ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में पारित होते ही प्रदेश भर के सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी के लगभग 6 लाख बच्चे संस्कृत, पंजाबी व उर्दू में से एक विषय पढ़ सकेंगे. बोर्ड चेयरमैन डॉ वीपी यादव के अनुसार नई शिक्षा नीति में त्रि सूत्रीय फार्मूला है. शिक्षा मंत्री भी चाहते हैं कि इसे हरियाणा में लागू किया जाए.

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उन्होंने बताया कि हरियाणा में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को मीटिंग के बाद जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. जिससे 10वीं व 12वीं के लगभग 6 लाख बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार किसी एक भाषा को पढ़ सकेंगे. वहीं संस्कृत अकादमी हरियाणा के पूर्व निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री व संस्कृत हिंदी साहित्य आचार्य सुनील शास्त्री ने बताया कि बोर्ड के इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था. इसके बाद तीनों भाषा के शिक्षक भी भर्ती होंगे. वहीं देश की संस्कृति भी जिंदा रहेगी.

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