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हरियाणा में स्कूल बदलने पर छात्रों को देनी होगी मोटी फीस, बड़े विरोध की तैयारी में लेक्चरर्स एसोसिएशन - हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (Haryana School Education Board) के एक फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है. भिवानी बोर्ड ने स्कूल बदलने पर 1 से 3 हजार रुपये की फीस वसूलने का फैसला किया है. बोर्ड का ये फैसला गरीब घर के छात्रों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है.

Haryana School Lecturers Association
Haryana School Education Board

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Published : Apr 29, 2023, 9:03 AM IST

भिवानी: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने एक नया आदेश जारी किया है. इसके तहत प्रदेश में 9वीं के बाद 10वीं और और 11वीं के बाद 12वीं में स्कूल बदलने वाले छात्रों को बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी. यही नहीं मंजूरी के साथ ही छात्रों को एक हजार से लेकर तीन हजार रुपये तक शुल्क भी देना पड़ेगा. बोर्ड ने इस संबंध में सभी स्कूलों को लेटर जारी कर दिया है. इसी फैसले का अब विरोध होने लगा है.

इसी मामले को लेकर हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर वीपी यादव और सचिव कृष्ण कुमार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद एसोसिएशन के राज्य प्रधान सतपाल सिंधु ने बताया कि बोर्ड चेयरमैन को हरियाणा के स्कूलों में गरीब छात्रों से स्कूल बदलने के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क और अनावश्यक दस्तावेजों मांगे जाने का विरोध किया गया है. सिंधु ने कहा कि भिवानी बोर्ड का ये फैसला गरीब छात्रों की पढ़ाई में बाधक सिद्ध होगा.

उन्होंने भिवानी बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के छात्र पढ़ाई करते हैं. उनमें से ज्यादातर छात्रों के अभिभावक अनपढ़ हैं. इसलिए बोर्ड द्वारा जो दस्तावेज मांगे जा रहे हैं वो अनावश्यक और जटिल हैं. इनको इकट्ठा करना अभिभावकों और विद्यालय प्रशासन के लिए असंभव है. यह निर्णय प्रदेश की सरकारी शिक्षा के ढांचे के लिए घातक सिद्ध होगा. यदि बोर्ड चेयरमैन की मंशा सरकारी शिक्षा के प्रति सही है तो बोर्ड अपने स्तर पर दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया को पूरी करे.

सतपाल सिंधु ने कहा कि फर्जीवाड़े को रोकने के लिए गरीब छात्रों से एक हजार से तीन हजार रुपये शुल्क वसूलना तर्कसंगत नहीं है. सतपाल सिन्धु ने कहा कि यदि इस निर्णय पर बोर्ड पुनर्विचार नहीं करता है तो हसला को सार्वजनिक शिक्षा बचाने के लिए कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. एसोसिएशन के भिवानी जिला प्रधान अतर सिंह मलिक ने कहा कि यह निर्णय सरकारी स्कूलों के खिलाफ और शिक्षा विभाग की नीतियों के विपरीत एक बड़ी साजिश है. यह उन निजी स्कूलों के पक्ष में है, जो नियमित संबद्धता या मान्यता भी नहीं ले रहे हैं. इस प्रक्रिया के लिए मांगे गए लगभग सभी दस्तावेज संबंधित स्कूलों के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं.

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