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भिवानी: बर्बाद फसलों की गिरदावरी की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत - haryana news in hindi

युवा किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रवि कुमार ने कहा कि इस बार किसानों की कपास की फसल में सफेद मक्खी ,जलभराव और टीडी दल के द्वारा बड़ा नुकसान हुआ है. जिसकी गिरदावरी अभी तक नहीं की गई है.

Farmers demanding  Compensation of wasted crops in Bhiwani.
बर्बाद फसलों की गिरदावरी की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत

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Published : Sep 16, 2020, 2:25 PM IST

भिवानी:जिले के लघु सचिवालय के समक्ष भारतीय किसान यूनियन के द्वारा भिवानी जिले के किसानों की महापंचायत का आयोजन किया गया. इस दौरान जिलेभर से जुड़े हुए किसान भारतीय किसान यूनियन के बैनर के नीचे महापंचायत में इकठ्ठे हुए और सरकार के समक्ष यूनियन के नेताओं के साथ अपनी आवाज बुलंद की. भिवानी जिले के किसानों की समस्याओं को लेकर लघु सचिवालय के समक्ष हुई.

महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष रतन सिंह मान और युवा किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रवि कुमार ने कहा कि अखिल भारतीय किसान यूनियन के बैनर के नीचे हरियाणा प्रदेश में किसानों की समस्याओं को सरकार के समक्ष आवाज बना कर रखा जा रहा हैं.

बर्बाद फसलों की गिरदावरी की मांग को लेकर किसानों की महापंचायत

उन्होंने कहा कि इस बार किसानों की कपास की फसल में सफेद मक्खी ,जलभराव और टीडी दल के द्वारा बड़ा नुकसान हुआ है. यही नहीं उसके साथ ही अन्य खरीफ की फसल भी खराब हुई हैं. जिसकी गिरदावरी अभी तक नहीं की गई है.

'आम किसानों के साथ किया जा रहा हैं भेदभाव'

उन्होंने कहा कि जहां गिरदावरी हुई है वहां पर भेदभाव बरता गया है. जिस क्षेत्र में 80 से 90 प्रतिशत नुकसान है वहां पर 30त्न नुकसान दिखाया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि जो प्रभावशाली किसान या नेता हैं उनकी गिरदावरी अधिकारियों की मिलीभगत से सही की जा रही है, लेकिन आम किसान के साथ भेदभाव किया जा रहा हैं.

इन तमाम बातों को लेकर दक्षिण हरियाणा में किसानों की आवाज उठाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कपास की स्पेशल गिरदावरी की जाए और किसानों को बीमा क्लेम और मुआवजा राशि तुरंत मुहैया करवाई जाए, ताकि किसान अपनी अगली फसल तैयार कर सकें.

उन्होंने कहा की बीमा के नाम पर सरकार के केवल जुमले ही साबित हो रहे हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार किसानों के हकों की आवाज को नहीं सुनेगी तो 5 अक्टूबर को सरकार को किसानों का सामना करना पड़ेगा.

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