भिवानी: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड 16 और 17 नवंबर को एचटेट (HTET) परीक्षा का आयोजन करने जा रही है. इसके लिए बोर्ड ने खास दिशा-निर्देश दिए हैं. बोर्ड ने प्रवेश पत्र को लेकर कुछ बदलाव किए हैं. अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए अब ब्लैक एंड व्हाईट परीक्षा प्रवेश पत्र लाने वाले अभ्यार्थियों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश नहीं मिलेगा, बल्कि रंगीन प्रिंट परीक्षा प्रवेश पत्र ही मान्य होंगे.
इसके साथ महिला अभ्यार्थी मंगलसूत्र को छोड़कर कोई भी गहने पहनकर एचटेट (HTET) परीक्षा नहीं दे पाएंगी. ये जानकारी बोर्ड के सचिव राजीव प्रसाद और बोर्ड चेयरमैन डॉ. जगबीर सिंह ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी. एचटेट परीक्षा के प्रवेश पत्र 8 नवंबर से बोर्ड वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकेंगे.
एचटेट परीक्षा से संबंधित नियमों की जानकारी देते बोर्ड सचिव, देखें वीडियो सिख धर्म के अभ्यर्थियों को मिली छूट
हरियाणा प्रदेश में अध्यापक बनने के लिए आयोजित की जाने वाली एचटेट परीक्षा को लेकर बोर्ड द्वारा जो नियमावली तय की गई है, उसमें खास बात ये भी है कि सिर्फ सिख अभ्यार्थी अपने धार्मिक आस्था के चिह्न परीक्षा केंद्र में ले जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें भी मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ेगा.
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नेत्रहीन अभ्यर्थियों को 50 मिनट अतिरिक्त दिए जाएंगे- बोर्ड
इसके साथ ही जो विद्यार्थी नेत्रहीन या अशक्त हैं, उन्हें 50 मिनट अतिरिक्त दिए जाने का प्रावधान भी बोर्ड ने किया है. अध्यापक पात्रता परीक्षा में किसी नकल या अन्य अनुचित साधन का प्रयोग करने की मंशा रखने वाले अभ्यार्थियों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि परीक्षा के दौरान मोबाइल, पेजर, ब्लू-टूथ, कैलकुलेटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाना प्रतिबंधित हैं.
अभ्यर्थियों को बायोमैट्रिक से गुजरना होगा
अपनी परीक्षा किसी अन्य अभ्यार्थी द्वारा दिलवाने के पहले हुए मामलों को देखते हुए बोर्ड ने परीक्षा के दौरान ही बायोमैट्रिक से अंगूठे के निशान मिलवाने के अलावा वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था भी की है.
16 और 17 नवंबर को होगी एचटेट (HTET) परीक्षा
गौरतलब है कि 16 और 17 नवंबर को दो दिनों तक होने वाली इस परीक्षा का आयोजन 959 परीक्षा केंद्रों पर होगा. जिसमें दो लाख 83 हजार 878 अभ्यार्थी हिस्सा लेंगे. एचटेट (HTET) परीक्षा पास करने के बाद इन अभ्यार्थियों को हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की स्क्रीनिंग परीक्षा भी देनी होगी. जिसके बाद वो सरकारी विद्यालयों में बच्चों को पढ़ा सकेंगे.
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