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मनीष का ओलंपिक में टिकट पक्का, घर पर लगा बधाइयों का तांता

देवसर गांव निवासी मनीष कौशिक ने ओलंपिक का टिकट हासिल किया है. मनीष कौशिक के टिकट मिलने पर परिजनों में खुशी का माहौल है. पढ़ें पूरी खबर...

boxing qualifier manish kaushik family
boxing qualifier manish-kaushik

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Published : Mar 12, 2020, 10:33 AM IST

भिवनी: मिनी क्यूबा के एक और लाल ने अपने मुक्के के दम पर ओलंपिक का टिकट हासिल किया है. देवसर गांव निवासी मनीष कौशिक ने जॉर्डन में आयोजित प्रतियोगिता में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हराने वाले ऑस्ट्रेलियाई बॉक्सर को हराकर अपना ओलंपिक का टिकट पक्का किया है. मनीष भिवनी का दूसरा बॉक्सर है जो ओलंपिक खेलेगा. इससे पहले पूजा बोहरा ओलंपिक टिकट हासिल कर चुकी हैं.

गांव देवसर निवासी मनीष कौशिक ने 8वीं कक्षा में बॉक्सिंग खेलना शुरु किया था. करीब 12-13 साल की मेहनत के बाद मनीष की मेहनत रंग लाई है. उसने पहली बार में ही ओलंपिक कोटा हासिल कर इतिहास रच दिया है. इससे पहले भिवानी की लाडली पूजा बोहरा ने 75 किलोग्राम भार वर्ग ओलंपिक 2020 में कोटा हासिल करने वाली पहली महिला बॉक्सर बनी थी.

देवसर गांव निवासी मनीष कौशिक ने ओलंपिक का टिकट हासिल किया है. क्लिक कर देखें वीडियो
मनीष कौशिक द्वारा ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद उनके गांव और घर में खुशी का माहौल है. मनीष के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. मनीष के पिता सोमदत और माता को अपने लाडले की इस उपलब्धि पर इतनी खुशी है कि वो जाहिर भी नहीं कर पा रहे हैं. दोनों को पूरी उम्मीद है कि उनका बेटा देश की झोली में ओलंपिक मैडल जरूर डालेगा.

घर पर लगा खुशियों का तांता

मनीष की इस उपलब्धि पर केवल उसके माता-पिता ही नहीं, साथी मुक्केबाज और परिजन भी खुशी मना रहे हैं. इन सबका कहना है कि मनीष ने जो 12-13 साल कड़ी मेहनत रंग लाई है. मनीष के चचेरे भाई राजेश का कहना है कि जब मनीष ने बॉक्सिंग शुरु की तो घर पर किसी को पता ही नहीं था. जब मनीष नेशनल चेंपियन बना तब जाकर पता चला कि वो बॉक्सिंग करता है और एक अच्छा बॉक्सर है.

मनीष के चाचा राजकुमार ने बताया कि मनीष ने हर प्रतियोगिता में कोई ना कोई मैडल जीता है. चाहे वो नेशनल चैंपियनशिप हो, कॉमनवैल्थ हो या फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप. हर चैंपियनशिप में मनीष ने कोई ना कोई मैडल जीता है. इसलिए सभी को उम्मीद है कि मनीष ओलंपिक में भी कोई ना कोई मैडल जरूर जीतेगा.

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निश्चित तौर पर ओलंपिक कोटा हासिल करना एक खिलाड़े के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य होता है. वहीं अपने लाडले या लाडली द्वारा ये उपलब्धि हर मां-बाप ही नहीं पूरे देश के लिए गर्व की बात होती है. भिवानी में तो एक नहीं दो-दो बॉक्सरों ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है. जो पूरे मिनी क्यूबा के लिए गर्व की बात है.

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