भिवानी:बीते दिनों भिवानी के गांव बारवास में बोलेरो गाड़ी में मिले दो जले नर कंकाल का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाने व हत्या के आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने की मांग को लेकर भारत मुक्ति मोर्चा, इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल एसोसिएशएन, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से शनिवार को उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन के माध्यम से इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल एसोसिएशएन के प्रदेश प्रभारी विनोद सांगा, बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. शमशेर सिंह निर्भय ने न्याय की अपील की है. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी को जुनैद व नासिर राजस्थान के भरतपुर जिला के घाटमिका गांव से हरियाणा में अपने ससुराल एक शादी समारोह में आए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान वापस लौटते समय उनकी गाड़ी को रोककर उनके साथ मारपीट की गई, जिसमें उसकी मौत हो गई और शवों को गाड़ी के साथ जला दिया.
उन्होंने कहा कि यह घटना ना केवल अमानवीय है बल्कि भयावक भी है. उन्होंने कहा कि देश की एकता व अखंडता के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने वाले अराजक तत्वों व उनको पोषित करने वाले संगठनों पर तत्काल कार्रवाई कर उन पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सख्त से सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो भारत मुक्ति मोर्चा इस मामले को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए हरियाणा व राजस्थान सरकार के खिलाफ केस करने पर मजबूर होंगे.
भिवानी बोलेरो केस: भारत मुक्ति मोर्चा ने की न्याय की अपील, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
भिवानी बोलेरो नर कंकाल मामले को लेकर भारत मुक्ति मोर्चा सहित अन्य संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मृतकों को न्याय दिलाने की अपील की है.
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विनोद सांगा व शमशेर सिंह निर्भय ने ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से मांग की कि इस मामले में आरोपियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए. हत्या में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हे बर्खास्त किया जाए. मृतकों के आश्रितों को 5 करोड़ रूपये का मुआवजा व एक परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. इस तरह की अपराधिक प्रवृत्ति की सोच रखने वाले व राष्ट्र की एकता व अखंडता खंडित करने वाले बजरंग दल जैसे विभानजकारी संगठनों पर पाबंदी लगाई जाए. अल्पसंख्यकों पर हो रहे सांप्रदायिक अन्याय व अत्याचार को रोकने के लिए कम्यूनल प्रीवेंशन एक्ट तत्काल बनाया जाए.