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भिवानी: सबसे बड़े भंडारे में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

भिवानी में सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया. इस भंडारे में शुद्ध देशी घी में तैयार 25 सौ क्विंटल आटे की पूरी, पांच हजार क्विंटल आटे की तंदूरी रोटी, 11 हजार लीटर लस्सी की कढ़ी, 3500 क्विंटल आलू मटर की सब्जी सहित 250 बोरी चीनी से तैयार लड्डू बनाए गए.

Bhandare organized in Baba Zahra Giri Ashram in bhiwani
उत्तर भारत के सबसे बड़े भंडारे में उमड़ा श्रद्धालु का जनसैलाब

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Published : Jan 22, 2021, 7:02 PM IST

भिवानी:शुक्रवार को उत्तर भारत का सबसे बड़ा भंडारा हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में लगाया गया. आश्रम को सजाने की जिम्मेवारी जहां पूना के कारिगरों ने निभाई, तो वहीं प्रसाद तैयार करने में अनेक हलवाईयों की टीम ने अपना योगदान दिया. इस सिद्ध पीठ में शुद्ध देशी घी में तैयार 25 सौ क्विंटल आटे की पूरी, पांच हजार क्विंटल आटे की तंदूरी रोटी, 11 हजार लीटर लस्सी की कढ़ी, 3500 क्विंटल आलू मटर की सब्जी सहित 250 बोरी चीनी से तैयार लड्डू बनाए गए. जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.

अंतरराष्ट्रीय सभापति श्री प्रेम महाराज के सानिध्य में किया गया आयोजन

विशाल भंडारे में मुख्य सानिध्य अंतरराष्ट्रीय सभापति श्री प्रेम महाराज, पूर्व सभापति महंत श्री सोहन गिरी का रहा. दोपहर 12 बजे शुरू हुए भंडारे से पहले सिद्ध पीठ बाबा जहगिरी आश्रम में अंतरराष्ट्रीय श्रीमहंत डॉ. श्री अशोक गिरी महाराज के द्वारा बाबा जहगिरी महाराज का पंचामृत दही, घी, मधु, शर्करा सहित गोमूत्र पचंगव्य व भस्म केसर, चंदन, स्वर्ण, रजत भस्म् सहित अनेक औषधियों के द्वारा बाबा जहगिरी का स्नान करवाया गया.

डॉक्टरों ने की नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच दवा वितरित

अभिषेक के बाद षोडशोपचार वैदिक विधि विधान से पूजन अर्चन व हवन यज्ञ किया गया. भंडारे के दौरान निजी अस्पताल के डॉक्टर आशीष मित्तल की टीम के द्वारा नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच कर दवा वितरित की गई.

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अशोक गिरी महाराज ने बताया कि हर वर्ष आयोजित होने वाला ये भंडारा इतना विशाल होता है कि इसमें पांच हजार से ज्यादा साधु-संत व लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करने आते हैं. उन्होंने बताया कि भंडारे के प्रसाद के लिए मंदिर प्रांगण में नौ जनवरी से प्रसाद बनना शुरू हो चुका था और भंडारे के लगभग एक माह बाद तक लड्डू प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं. भंडारे की तैयारियोंं में काशी से आये हुए पंडितों के द्वारा शत चंडी यज्ञ 8 जनवरी से चल रहा था.

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