भिवानी: जिले के नर्सिंग छात्रावास का सूरत-ए-हाल पिछले 20 साल से नासाज है. समय-समय पर हादसे होते हैं और अधिकारी भरोसा देते है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा, लेकिन भरोसा देने वाले अधिकारी आते रहे और जाते रहे. नर्सिंग छात्रावास की हालत दिन-प्रतिदिन ओर खस्ता होती गई. अब तो नौबत यह आ गई है कि न जाने चार मंजिला नर्सिंग छात्रावास के किस तल पर किस समय मलबा गिर जाए और बड़े हादसे का कारण बन जाए.
पिछले चार दिनों से नर्सिंग छात्रावास के प्रथम तल पर लगातार अलग-अलग कमरों में मलबा गिर रहा है और छात्राएं दहशत में सांस ले रही हैं. बुधवार को छात्राओं का गुस्सा फूटा तो वे सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कादयान के पास फरियाद लेकर पहुंची. सिविल सर्जन ने दो टूक कह दिया कि उनके पास छात्राओं की समस्या का कोई समाधान नहीं है. नर्सिंग छात्रावास का भवन उनके आधीन नहीं आता. जब किसी ने फरियाद नहीं सुनी तो छात्राएं नर्सिंग छात्रावास के बाहर धरने पर बैठ गई.
नर्सिंग छात्रावास की हालत बाहर से देख ले या फिर अंदर से, खस्ता ही है. लैंटर के सरिये नजर आने लगे है, क्योंकि मसाला झड़ चुका है. इसके बावजूद रख-रखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर राग अलापते नहीं थकते, यहां हालत यह है कि न बेटी चैन से पढ़ सकती है और बचाने का जिम्मा तो ऊपरवाले पर है. जिस जर्जर भवन में वे रह रही है, वहां एक पल का भरोसा नहीं कि किस समय क्या हो जाए.
पहले तल के कमरे का गिरा मलबा
बुधवार सुबह नर्सिंग छात्रावास के प्रथम तल पर एक कमरे से मलबा गिरा तो नर्सिंग छात्रा कविता व मंजू घायल हो गई. भले ही उन्हे गुम चोट आई. साथी छात्राएं उन्हे उठाकर सुरक्षित स्थान तक लेकर आई. नर्सिंग प्रशिक्षण छात्रावास की प्राचार्या से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छात्रावास की खस्ताहालत को लेकर वे निरंतर अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से संज्ञान में लाती रही है. इतना ही नहीं, चंडीगढ़ मुख्यालय को भी अनेक बार अवगत कराया है. उनके अधिकार क्षेत्र में तो पत्राचार व शीर्ष अधिकारियों को स्थिति से अवगत करवाना ही है, वह काम उन्होंने बाखूबी किया है. जब उनसे सवाल किया गया कि यदि किसी छात्रा को चोट लगी तो जिम्मेवार कौन होगा तो वे बोली निश्चित रूप से प्रशासन ही जिम्मेवार होगा.