अंबाला:आज देश आजादी की 73वीं सालगिरह मना रहा है. देश गुलामी की जंजीरों से आजाद होने का जश्न मना रहा है. स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों की शहादत को नमन कर उनके परिवार को सम्मान दिया जा रहा है लेकिन आज भी ऐसे कई शहीदों के परिवार हैं जिन्हें सम्मान के नाम पर सरकार ने सिर्फ धोखा दिया है. ऐसा ही एक परिवार शहीद सुरजीत सिंह का भी है. वो सुरजीत सिंह जो 1998 में जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. तब सुरजीत सिंह की उम्र महज 21 साल थी और वो अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे.
ठोकरें खाने को मजबूर शहीद के बुजुर्ग पिता
शहीद सुरजीत सिंह के पिता रि. सूबेदार रवैल सिंह ने बताया कि उनके बेटे को मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया गया, लेकिन आर्थिक सहायता के नाम पर उन्हें सिर्फ 20 हजार रुपये दिए गए. उन्हें हरियाणा सरकार ने पेट्रोल पंप देने जैसे ना जाने कितने वादे किए, लेकिन सरकार ने वो वादे आज तक पूरे नहीं किए. शहीद सुरजीत सिंह का परिवार सरकार की बेरुखी का इकलौता शिकार परिवार नहीं है. अंबाला के ही शहीद रणबीर सिंह का परिवार भी ऐसी ही अनदेखी का शिकार है.