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लॉकडाउन में बदहाल हुए कुली! दो वक्त की रोटी का भी नहीं हो रहा जुगाड़

लॉकडाउन के कारण कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पहले दिनभर में 400 से 500 रुपये की कमाई हो जाती थी. लेकिन अब दिन भर में बोनी तक नहीं हो पाती. कुली अब सरकार से हाथ जोड़कर बस मदद मांग कर रहे हैं, ताकि उनका घर चल सके.

poor financial condition of coolies
poor financial condition of coolies

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Published : Jun 6, 2021, 10:40 AM IST

अंबाला:यात्रियों के सामान का बोझ उठाने वाले कुली इन दिनों परेशान हैं.. कई राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है और ट्रेनें ना के बराबर चल रही हैं. ऐसे में असंगठित क्षेत्र के इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कुलियों को कहना है कि अब उन्हें सरकार ही मदद दे सकती है.

कोरोना काल से पहले अंबाला रेलवे स्टेशन पर करीबन 150 कुली काम किया करते थे, लेकिन अब स्टेशन पर महज 40 से 50 कुली ही बचे हैं. भारतीय रेलवे में अपने वजूद की तलाश कर रहे इन कुलियों पर कोरोना आफत बनकर बरपा है. घर चलाना अब कुलियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

लॉकडाउन में बदहाल हुए कुली! दो वक्त की रोटी का भी नहीं हो रहा जुगाड़

लॉकडाउन में बदहाल हुए कुली!

कुली टोन पाल का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से स्टेशन पर अब नाम मात्र ट्रेनें ही आती हैं. ऊपर से महामारी के इस दौर में अधिकतर रेल यात्री अपने सामान को कुली के हवाले नहीं करते. ऐसे में हम क्या करें, क्या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा. हमारी प्रशासन से अपील है कि वो हमारी आर्थिक रूप से मदद करे. हम भी भारतीय रेलवे का एक अंग हैं.

दो वक्त की रोटी का भी नहीं हो रहा जुगाड़

कुली सुरेंद्र पाल का कहना है कि पिछले वर्ष लगाए गए लॉकडाउन में रेलवे ने हमें 2 बार राशन मुहैया करवाया था. लेकिन इस बार किसी ने भी हमारी सुध नहीं ली. घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. हमारी रेलवे मंत्रालय से हाथ जोड़ कर अपील है कि हमारी भी सुध ले.

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लॉकडाउन के कारण रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है. कुली खाली बैठकर बस दिन गिन रहे हैं कि कब लॉकडाउन खत्म होगा और हालात सामान्य होंगे. कुली सरकार से भी गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें किसी तरह की राहत दी जाए, क्योंकि लॉकडाउन में उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल हो चुकी है.

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