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अग्निपथ योजना के विरोध के चलते किसानों को नहीं मिल रहे प्रवासी मजदूर, धान रोपाई का काम प्रभावित - अंबाला में प्रवासी मजदूरों की कमी

हरियाणा सरकार ने धान रोपाई के लिए 15 जून की तारीख निर्धारित की है. बरसात के बाद किसानों ने धान रोपाई का काम शुरु कर दिया है, लेकिन प्रवासी मजदूर नहीं मिलने की वजह से धान रोपाई में काफी परेशानी (paddy transplantation affected in ambala) हो रही है. किसानों के मुताबिक अग्निपथ योजना के विरोध के चलते उन्हें मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं.

cultivation affected in ambala
किसानों की फसलों पर पड़ा अग्निपथ योजना विरोध का प्रभाव

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Published : Jun 23, 2022, 2:45 PM IST

अंबाला:हरियाणा में बारिश का आजाग हो चुका है. बारिश होने से अब किसानों ने धान रोपाई का काम भी शुरू कर दिया है. बारिश ने किसानों की मुश्किलें आसान तो कर दी लेकिन अग्निपथ योजना के विरोध ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हरियाणा सरकार ने धान रोपाई का समय 15 जून निर्धारित किया था, लेकिन किसानों का कहना है कि अग्निपथ योजना के विरोध के चलते बिहार से मजदूर नहीं आ पाए हैं और ट्रेनें भी बंद कर दी गई हैं. जिससे दिए गए समय में रोपाई (paddy transplantation affected in ambala) का काम पूरा नहीं हो सका है.

किसानों ने कहा कि अधिकतर मजदूर बिहार से आते हैं. किसानों ने कहा कि पहले कोरोना के कारण मजदूर नहीं आ पाए (migrant labour shortage in ambala) थे. जिससे उनका काम काफी प्रभावित हुआ था, वहीं अग्निपथ योजना का विरोध पूरे प्रदेश के किसानों को प्रभावित कर रहा है. किसानों ने कहा कि धान की रोपाई को लेकर कुदरत पूरी तरह किसानों पर मेहरबान रही है, लेकिन लेबर ना मिलने के कारण एक बार फिर किसान समय रहते धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं.

किसानों की फसलों पर पड़ा अग्निपथ योजना विरोध का प्रभाव, मजदूर न होने से अटका रोपाई कार्य

किसानों ने कहा कि धान की रोपाई (paddy cultivation in ambala) करने वाले अधिकतर लेबर बिहार से आते हैं और केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना के विरोध के चलते ट्रेनें बंद पड़ी हैं, जिसके कारण बिहार से आने वाले लेबर नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में धान की रोपाई करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं किसानों ने कहा कि बिहार से आने वाले मजदूर 3000 प्रति एकड़ की रोपाई करते हैं, लेकिन क्षेत्रीय मजदूर 4500 प्रति एकड़ मांगते हैं. बिहार से लेबर को लेकर आए ठेकेदार ने बताया कि 12 लोग मिलकर पूरे दिन में करीब 3 एकड़ जमीन में धान की रोपाई कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल 3000 रुपए से लेकर 3200 रुपए तक प्रति एकड़ मेहनत नामा मिला था. इस बार महंगाई बढ़ गई है और वह भी उम्मीद करते हैं की धान की रोपाई के रेटों में बढ़ोतरी की जाए.

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