अंबाला: समाज के हर तबके पर कोरोना महामारी का असर इस कदर पड़ा है कि लोगों को दो जून की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही है. हर वर्ग इस महामारी से जूझ रहा है. ऐसा ही एक वर्ग है किन्नर. लॉकडाउन के बाद से किन्नर समाज भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. बात करें अंबाला की तो शहर में 4 से 5 किन्नर समाज के डेरे हैं. जिसमें करीब 20 से 25 किन्नर रहते हैं.
ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में अंबाला छावनी के केसरी इलाके में रहने वाली किन्नर शिवानी ने बताया की लॉकडाउन से उनके काम पर खासा असर पड़ा है. आलम ये है कि डेरे का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया है.
किन्ररों के डेरे में उनके चेले और संगीत के इंस्टूमेंट बजाने वाले कारीगर भी काम करते थे. लॉकडाउन के बाद से काम बंद हुआ तो कारीगर की सैलरी देना भी मुश्किल हो गया. किन्नर शिवानी की चेला मनीषा ने बताया की अगर जल्द ही हालात सही नहीं हुए तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी. बता दें कि इन किन्नरों ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की सेवा की है. घरों तक राशन पहुंचने का काम हो या फिर कोई दूसरी जरूरत की चीजें. हर चीज में इन्होंने लोगों की सहायता कर अहम योगदान दिया है.