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हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इंदिरा गांधी पर उठाए सवाल, कहा- युद्ध में जीती जंग टेबल पर हार गए राजनेता

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने विजय दिवस पर इंदिरा गांधी पर कई सवाल (Anil Vij statement on Indira Gandhi) खड़े किए. विज ने कहा कि 1971 में सैनिकों द्वार जीती जंग राजनेता शिमला एग्रीमेंट में टेबल पर हार गए.

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Published : Dec 16, 2021, 3:47 PM IST

Anil Vij statement on Indira Gandhi
Anil Vij statement on Indira Gandhi

अंबाला: हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने गुरूवार को विजय दिवस के अवसर पर देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर कई सवालिया निशान खड़े (Anil Vij statement on Indira Gandhi) किये. अनिल विज ने कहा कि 1971 में सैनिकों द्वारा जीती हुई जंग राजनेता शिमला एग्रीमेंट में टेबल पर हार गए थे. अनिल विज ने कहा कि हमारे पास 90 हजार युद्ध बंदी (POW) थे, अगर हम चाहते तो उनको छोड़ने के बदले में पीओके ले सकते थे, लेकिन हमने कोई बार्गिनिंग नहीं की. यह बहुत बड़ी भूल थी जिसे हम आज तक भुगत रहे हैं.

गौरतलब है कि गृहमंत्री अनिल विज अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते है. आज अनिल विज ने अपने बयान में जहां 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते (Anil Vij statement on shimla agreement) पर बड़े सवाल खड़े किए हैं, वहीं विज ने पूर्व की सरकारों को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. अनिल विज ने कहा कि ये उस वक्त की सरकारों की बहुत बड़ी भूल थी, जो उस वक्त किसी प्रकार की बार्गिनिंग नहीं की गई, POK की मांग नहीं की गई.

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इंदिरा गांधी पर उठाए सवाल

इसके अलावा अनिल विज ने कहा कि आज भी 1971 युद्ध के कई भारतीय सैनिक पाकिस्तान की कैद में है. उस वक्त हमारे पास भी पाकिस्तान के 90 हजार युद्ध बंदी थे. हमें पाकिस्तान के साथ सौदा करके POK वापस ले लेना चाहिए था. लेकिन हमने ऐसा नहीं करके बहुत बड़ी भूल की है.

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क्यों मनाते हैं विजय दिवस

आज से 50 साल पहले 16 दिसंबर का दिन भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध का निर्णायक दिन था. जिसके बाद से 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन बांग्लादेश (Bangladesh) पाकिस्तान से अलग हो कर अपने नए अस्तित्व में आया था. जिसे वह अपनी आजादी और मुक्ति दिवस के रूप में मनाता है. साथ ही इस युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत हलचल रही थी और उस भारत को भी कूटनीतिक तौर पर काफी काम करना पड़ा था. जिससे भारत बांग्लादेश को मुक्त कराने के साथ पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर सका. इस युद्ध में पाकिस्तान की हार के साथ भारत ने पाकिस्तानी सेना के 93 हजार युद्ध बंदियों को आजाद किया था. युद्ध में पाकिस्तान की हार तब भी हुई थी जब अमेरिका उसका पूरा समर्थन कर रहा था. जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी गई थी.

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क्या है शिमला समझौता

1971 युद्ध के बाद वर्ष 1972 में शिमला में भारत और पाकिस्तान के बीच 28 जून से 1 जुलाई तक कई दौर की वार्ता हुई. जिसके बाद 2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच समझौता हो गया. यह समझौता शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. इस समझौते में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ शिमला आए थे. इस समझौते में पाकस्तान ने वादा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर समेत जितने भी विवाद हैं. उनका हल आपसी बातचीत के जरिए शांतिपूर्वक से किया जाएगा. किसी भी विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा. समझौते में यह भी कहा गया कि युद्ध बंदियों की अदला-बदली होगी. राजनयिक संबंधों को सामान्य किया जायेगा. दोनों देशों में व्यापार फिर शुरू होगा. साथ ही कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित होगी. दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करेंगे. दोनों ही सरकारें एक दूसरे देश के खिलाफ प्रचार को रोकेंगी. लेकिन बाद में पाकिस्तान ने इसे समझौते का सैकड़ों बार उल्लंघन किया है और आज तक करता आ रहा है.

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