अंबाला:ताजमहल, संगमरमर में तराशी गई एक कविता है जो आकर्षण और भव्यता के लिए पूरी दुनिया में अपने प्रकार का एक ही है. जिसकी खूबसरती में चार चांद लगाने का काम करती है संगमरमर के पत्थरों पर की गई नक्काशी. ऐसा ही एक अनूठा या यू कहे अजूबा अंबाला में तैयार हो रहा है. जो आने वाले दिनों में हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए पर्यटन की दृष्टि के तौर पर विकसित हो सकता है.
ताजमहल को मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था और अंबाला में संगमरमर के पत्थरों से बन रहा भव्य जैन मंदिर है. जिसे गीता नगरी में जैन मुनि विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वर की याद में बनाया जा रहा है.
अंबाला में आठवां अजूबा !
अंबाला के गीता नगरी में बन रहा ये जैन मंदिर अपने आम में ही अनूठा है, क्योंकि इसे बनाने में सिर्फ और सिर्फ संगमरमर का इस्तेमाल किया जा रहा है. लोहे की एक भी कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है. मंदिर में लेंटर की जगह पुरानी भारतीय निर्माण शैली डाट का इस्तेमाल किया गया है. ये मंदिर करीब ढाई एकड़ में बन रहा है. जिसमें से 500 गज पर मंदिर और दूसरे हिस्से में आश्रम और भोजनालय बनाए जाएंगे.