अंबाला:84 वर्षीय गुरबचन सिंह संधू को आज भी पाकिस्तान में उनके दोनों घरों की तस्वीरें सपनो में नजर आती हैं. संधू कहते हैं कि मरने से पहले एक बार पाकिस्तान स्तिथ अपने दोनों मकानों को देखना चाहता हूं. जहां मेरे पुर्खों ने अपना जीवन व्यतीत किया और मैंने अपने लड़खड़ाते कदमों से चलना सीखा.
ईटीवी भारत के साथ बातचीत में 84 वर्षीय गुरबचन सिंह संधू से पाकिस्तान में उनके घर का जब पता पूछा तो उनका जवाब हैरान कर देने वाला था. उन्हें आज भी पाकिस्तान में स्थित अपने घर का पूरा पता मालूम है. उन्होंने नम आंखों के साथ बताया कि वो पाकिस्तान के सियालकोट कैंट, रंग सार मोहल्ला, मकान नंबर-50 में रहते थे.
उन्होंने बताया कि उनके पिता सरदार टहल सिंह संधू, माता हरबंस कौर और अपने चारों भाइयों के साथ वो एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे. उनके बड़े भाई साहब सेना में बतौर अकाउंटेंट भर्ती हुए थे.
गुरबचन सिंह संधू ने बताया कि जब देश आजाद हुआ. दुर्भाग्यवश तभी भारत के दो टुकड़े भी हुए. इस दौरान हालात बद से बदतर हो गए. खुश किस्मती से बड़े भाईसाहब सेना में थे, जिस वजह से हमारा सारा परिवार सही सलामत भारत पहुंच गया, लेकिन रास्ते में उनका सारा सामान और पैसे लूट लिए गए. उन्हें भारत आकर शून्य से जिंदगी शुरू करनी पड़ी.
भाई ने ट्रक भेजकर घर बुलाया
संधू बताते हैं कि उनके बड़े भाई जो सेना में थे. उन्होंने उन हालातों में जैसे-तैसे सेना का ट्रक भेजकर उसमें हमारे सारे परिवार को रेलवे स्टेशन पहुंचाया. इस दौरान चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था. हर तरफ आगजनी थी, शव पड़े थे और लोग तड़पते रहे थे.
जब हम रेलवे स्टेशन पहुंचे तो वहां पर कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया. उस दौरान उन्होंने हमारा सारा सामान यहां तक कि उनके पिता की जेब में कुछ पैसे थे, वो भी निकाल लिए. जैसे-तैसे हम बॉर्डर क्रॉस करके अमृतसर पहुंचे. यहां पहुंच कर हमने कुछ दिन किराए के मकान में गुजारे.