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अंबाला में डेंगू ने दी दस्तक, अभी तक मिले 47 मरीज, जानें इसके लक्षण और बचने के उपाय

बारिश के मौसम की वजह से अंबाला में डेंगू के मरीज (dengue patients in ambala) बढ़ने लगे हैं. अभी तक जिले में डेंगू के 47 मामले सामने आ चुके हैं. जानें कैसे फैलता है डेंगू और क्या है इससे बचने के उपाय.

dengue cases in ambala
dengue cases in ambala

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Published : Oct 11, 2022, 3:50 PM IST

अंबाला: हरियाणा में बरसाती मौसम के साथ बीमारियों ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी है. बारिश के मौसम की वजह से अंबाला में डेंगू के मरीज (dengue patients in ambala) बढ़ने लगे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछली बार की तरह इस बार भी डेंगू अंबाला की जनता पर हावी ना हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारियां कर ली हैं. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बरसाती मौसम में ही डेंगू, मलेरिया और चिकिनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं.

अंबाला में अभी तक डेंगू के 47 मामले सामने आ चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लारवा चेक कर रही है और लारवा की ब्रीडिंग मिलने पर नोटिस भी दिया जा रहा है. डॉक्टर्स के मुताबिक बारिश के दिनों में जलभराव हो जाता है. गड्ढों में पानी भरने से मच्छरों की जनसंख्या बढ़ जाती है. जिससे डेंगू के मामले बढ़ने लगते हैं. ज्यादा जानकारी देते हुए सीएमओ डॉक्टर कुलदीप ने बताया कि अंबाला जिले में अब तक डेंगू के 47 मामले सामने आ चुके हैं.

स्वास्थ्य विभाग घर-घर जाकर लारवा चेक कर रहा है और लोगों को नोटिस भी दे रहा है. अगर नोटिस दिए गए घरों में फिर से लारवा पाया जाता है, तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा और चालान भी किए जाएंगे. उन्होंने ने लोगों से अपील की यदि कहीं भी बारिश (rainy season in haryana) की वजह से आस पास अगर कहीं भी पानी जमा हो तो उस पर मिट्टी का तेल या किसी भी प्रकार का तेल डाल दें, ताकि डेंगू का मच्छर उससे मर जाए.

डेंगू क्या है?डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है.

हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं. जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें भारी रक्तस्राव, ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम भी कहा जाता है. अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है. डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है. सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं.

डेंगू के लक्षण: उल्टी आना, तेज बुखार आना, कमजोरी महसूस होना, पेट की खराबी या पेट में दिक्कतें पैदा होना, सिरदर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना, हड्डी या जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द होना, त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते या लाल रंग के दाने होना, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, तो डेंगू के शुरुआती लक्षण फ्लू की तरह होती है और इसी के कारण लोग डेंगू के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं.

डेंगू से बचने के उपाय: बरसाती सीजन में पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें, मच्छर मारने वाली दवा का उपयोग करें, घर से या किचन से निकलने वाले कचरे को ज्यादा जमा ना होने दें, सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, घर की छत, कूलर, गमलों, टायर या अन्य जगहों पर पानी जमा ना होने दें. ध्यान रहे कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में ही पनपता है.

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