चंडीगढ़: जिले के डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में शक के दायरे में आए पत्रकार को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है. डीएसपी का सुसाइड नोट लेकर हाईकोर्ट पहुंचे अधिकारी को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस शायद जांच का तरीका भूल गई है. हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि सुसाइड लेटर को फॉरेंसिक लैब क्यों नहीं भेजा गया और लिखावट की जांच अभी तक क्यों नहीं कराई गई.
डीएसपी आत्महत्या मामले में पत्रकार सतीश कुमार को कोर्ट से अग्रिम जमानत मामले की सुनवाई आरंभ होते ही जांच अधिकारी ने डीसीपी का ओरिजनल सुसाईड नोट हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया और कहा कि इसमें पत्रकार सतीश कुमार का नाम कहीं भी नहीं है. ओरिजनल सुसाईड नोट देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच कैसे होती है पुलिस यह भूल गई है. कोर्ट ने कहा इसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना चाहिए.
कोर्ट ने जब कहा कि पुलिस के पास डीसीपी की पर्सनल डायरी मौजूद है फिर भी इस पत्र पर लिखाई किसकी है यह जांचने का प्रयास नहीं किया गया. इस पर जांच अधिकारी ने कुछ नहीं कहा. पत्रकार ने याचिका में कहा था कि उसका डीसीपी की आत्महत्या के केस से कोई लेना देना नहीं है. सतीश ने का कि डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने पत्र में भी उसका नाम नही लिखा जबकि उसने इंस्पेक्टर अब्दुल का नाम लिखा है.
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गौरतलब है डीसीपी ने पुलिस लाइन स्थित अपने आवास पर अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. घटना की जांच कर रही पुलिस को घटनास्थल से एक नोट मिला था जिसमें लिखा हुआ था कि वो इंस्पेक्टर अब्दुल की वजह से ऐसा कर रहे हैं.