रोहतक में जीत के लिए बेकरार बीजेपी
बीजेपी के गठन के बाद पार्टी आज तक भी रोहतक में जीत नहीं पाई है. जब तब जीत भी मिली तो वो भी गठबंधन के उम्मीदवार को. बीजेपी को अब भी रोहतक में अपना खाता खोलना है. लेकिन हुड्डा के गढ़ में जीत का परचम लहराना बीजेपी के लिए कितना मुश्किल है पार्टी बखूबी जानती है.
कुछ ऐसा है रोहतक लोकसभा का चुनावी इतिहास
लोकसभा चुनाव के इतिहास के अनुसार इस सीट से हरियाणा का गठन होने के बाद वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता चौ.रणधीर सिंह ने खाता खोला था. वर्ष 1971 के चुनाव में जनसंघ के उम्मीदवार चौ.मुखत्यार सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व सांसद चौ.रणधीर सिंह को पराजित किया था. वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रो.शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 1980 के चुनाव में जनता पार्टी व भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार स्वामी इंद्रवेश ने रोहतक फतह किया था.
वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल ने लोकदल के सरूप सिंह को 30 हजार 931 मतों से पराजित किया था. वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार चौ.देवी लाल ने कांग्रेस के संत हरद्वारी लाल को हराया था. उसके बाद कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ताऊ देवीलाल को लगतार तीन बार हराया. वर्ष 1991, वर्ष 1996 व वर्ष 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीत दर्ज की. 1999 के चुनाव में इनेलो-भाजपा गठबंधन के कैप्टन इंद्र सिंह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिकस्त दी थी.
वर्ष 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा चौथी बार सांसद चुने गए. फिर उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को वर्ष 2005 के उप चुनाव में मैदान में उतारा. दीपेंद्र ने 2005, 2009 और फिर 2014 में भी यहां से जीत का परचम लहराया. बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए तरस रही है. अब देखना ये होगा कि क्या इस बार बीजेपी यहां से जीत का स्वाद चख पाएगी या नहीं.
मोदी लहर में भी नहीं हिला हुड्डा का किला
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी उम्मीदवार को 1,70,436 वोटों से हरा दिया. दीपेंद्र को कुल 4,90,063 वोट मिल थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार ओम प्रकाश धनकड़ को कुल 3,19,436 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर 1,51,120 वोट के साथ इनेलो के उम्मीदवार शमशेर सिंह खरकडा रहे थे. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नवीन जयहिंद को 46,759 वोट पड़े थे.
रोहतक में होगा दिग्गजों का मुकाबला!
लोकसभा चुनाव-2019 की घोषणा होते ही प्रदेश की रोहतक लोकसभा सीट के प्रत्याशियों को लेकर चिंतन मंथन शुरू हो गया. सभी पार्टीं हैवी वेट नेता उतारने के लिए तैयारियां कर रही हैं. इस बार भाजपा भी कुछ नया करना चाह रही है. भाजपा यहां से किसी क्रिकेटर या एक्टर को भी उतार सकती है. कांग्रेस से सांसद दीपेन्द्र हुड्डा का लड़ना तय है और वे पिछले दो माह से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. बात इनेलो की करे तो सतीश नांदल के नाम पर विचार विमर्श चल रहा है. रही बात नवगठित जजपा की तो वो यहां से बड़ा चेहरा उतार सकती है, दुष्यंत चौटाला और प्रदीप देसवाल का नाम इस कड़ी में सबसे आगे है. वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से नवीन जयहिंद का ही दावा मजबूत लग रहा है.
रोहतक का इतिहास
पहले रोहतासगढ़ (रोहतास का दुर्ग) कहलाने वाले रोहतक की स्थापना एक पंवार राजपूत राजा रोहतास द्वारा की गई थी. यहां 1140 में निर्मित दीनी मस्जिद है, रोहतक के खोकरा कोट टीले की खुदाई में बौद्ध मूर्तियों के अवशेष मिले थे. रोहतक अनाज और कपास का प्रमुख बाजार है. यहां की औद्योगिक गतिविधियों में खाद्य उत्पाद, कपास की ओटाई, चीनी और बिजली के करघे पर बुनाई का काम होता है. रोहतक में कई शिक्षण संस्थाने हैं जिसमें महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय काफी अहम है.