रोहतक: पीजीआईएमएस के डॉक्टरों की टीम (PGIMS Rohtak doctors) ने जन्म से ऊपर और नीचे दोनों जबड़े जुड़े 2 माह के बच्चे का ऑपरेशन करने में सफलता हासिल की (connected jaw of two month child) है. बता दें यह प्रदेश में किए जाने वाला इस तरह का पहला ऑपरेशन था. डॉक्टरों की टीम ने जबड़े को अलग-अलग काट कर विभाजित कर दिया है और बीच में फ्लैप लगा दिया. अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.
पीजीआईएमएस में हुआ था नवजात शिशु का जन्म- पीजीआईएमएस की ओपीडी में पिछले माह एक नवजात शिशु को लगाया गया था. इस बच्चे का जन्म पीजीआईएमएस में ही हुआ था. बच्चे की जांच की गई तो पता चला कि उसके दोनों जबड़े जन्म से ही आपस में जुड़े हुए (Connected Jaw Successfully Operation) हैं. ऐसे में बच्चे के ऑपरेशन का फैसला किया गया, लेकिन बच्चे में वजन व खून की कमी के चलते उसे बेहोश नहीं किया जा सकता था, इसलिए उस समय ऑपरेशन करना संभव नहीं था. इसके चलते बच्चे की सर्जरी को आगे बढ़ाया गया ताकि ऑपरेशन के दौरान बच्चे की जान का खतरा न रहे.
पीजीआईएमएस के डॉक्टरों का कमाल, जन्म से जुड़े दो माह के बच्चे के जबड़े का सफल ऑपरेशन क्या कहते हैं चिकित्सक- पीजीआईएमएस के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि बच्चा जब 2 माह का हो गया तो निश्चेतना विभाग की टीम के साथ मिलकर बच्चे के ऑपरेशन का निर्णय लिया गया. इस टीम में डॉ. अमरीश, डॉ. राजीव, डॉ. एसके सिंगल, डॉ. सुशीला तक्षक, डॉ. प्रशांत और डॉ. दीपिका शामिल थे. बच्चे का ऑपरेशन करीब 3 घंटे तक चला. इस दौरान ऊपर नीचे का जबड़ा अलग-अलग काट कर विभाजित किया गया और बीच में फ्लैप लगा दिया ताकि यह आसानी से फिर न जुड़े. यदि फ्लैप नहीं लगाया जाता तो यह दो माह बाद फिर जुड़ जाता.
पीजीआईएमएस के डॉक्टरों का कमाल, जन्म से जुड़े दो माह के बच्चे के जबड़े का सफल ऑपरेशन बच्चे को बेहोश करना था बड़ी चुनौती-बच्चा अभी स्वस्थ है और अब वह अच्छे से दूध पी पा रहा है. डॉ. सिंह ने बताया कि हरियाणा में यह अपनी तरह का पहला ऐसा ऑपरेशन है. ऑपरेशन के दौरान निश्चेतना विभाग की टीम के सामने बच्चे को बेहोश करना अपने आप में बड़ी चुनौती थी. बच्चे का मुंह बंद था और नाक का रास्ता छोटा था. वहीं ऊपर के तालू में भी छेद था. बच्चे का जबड़ा जुड़े होने के चलते नलकी डालने में परेशानी आ रही थी और इसमें संस्थान में आए नए उपकरणों का सहारा लिया गया, जिसमें फिट कैमरे के माध्यम से एयरवे चेक किया गया. फिर नलकी डाली गई, जिसकी सहायता से बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया और दोनों विभागों की टीम ने एक सफल ऑपरेशन करने में कामयाबी हासिल की.