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रोहतक में किसानों के लिए पराली बनी बड़ी समस्या, देखिए ये रिपोर्ट

प्रदेश में फसल की कटाई होने के बाद अब खरीद भी शुरू हो गई है. इन सबके बीच हर साल की तरह फिर से पराली की समस्या पैदा हो गई है और अब शुरू होगा किसानों पर जुर्माना लगाने का दौर. पहले से कर्ज में दबे किसानों पर अब जुर्माना भी लगेगा क्योंकि किसानों ने फसलों के अवशेष जलाने शुरू कर दिए हैं. रोहतक में पराली की समस्या पर देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

rohtak farmers on stubble burning
rohtak farmers on stubble burning

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Published : Oct 4, 2020, 1:33 PM IST

रोहतक: लगभग पूरे प्रदेश में हर साल पराली की समस्या बनी रहती है. वहीं रोहतक में हर साल की तरह किसान और प्रशासन फिर आमने सामने हैं क्योंकि यहां के किसानों का कहना है कि पराली को लेकर प्रशासन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं कर पाया है इसलिए उनके सामने पराली जलाने के सिवाए कोई और चारा नहीं है. ईटीवी भारत ने पराली की समस्या को लेकर किसानों और प्रशासन से बात की.

किसान मजबूरन जला रहे पराली

किसानों ने बताया कि सरकार ने यदि कोई समाधान नहीं किया तो किसान इसी तरह पराली जलाते रहेंगे. वे मजबूरन पैराली खेत में जलाते हैं क्योंकि इस समय काम का सीजन होता है और इस वक्त आदमी कम और काम ज्यादा है इसलिए किसान को अगली फसल की बुवाई करनी होती है और वो पराली को खेत से नहीं निकाल पाता. इस वक्त मजदूर भी नहीं मिल रहे इसलिए पराली जलाना उनकी मजबूरी है.

रोहतक में किसानों के लिए पराली फिर बनी बड़ी समस्या, देखिए ये रिपोर्ट

रोहतक के किसानों ने ये भी कहा कि सरकार ने जो दावे किए थे कि पराली को खरीदा जाएगा, इस तरह की कोई भी बात देखने को नहीं मिली क्योंकि आज तक कोई भी प्रशासन का अधिकारी उनसे इस विषय में बात करने के लिए नहीं आया. हालांकि प्रशासन की ओर से दावा किया गया कि समय-समय पर किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन ये सारी बातें किसानों ने नकार दी.

हालांकि इस बीच किसानों का ये भी मानना है कि यदि 20 दिन पड़ोसी राज्य राजस्थान को छूट दे दी जाए कि उनकी गाड़ियों के चालान नहीं होंगे तो सारी पराली राजस्थान के किसान उठाकर ले जाएंगे और जो पशुओं के काम आएगी.

सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कई कदम

खैर किसानों ने तो अपनी बात रख दी, लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने पराली की समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठाए हैं. सरकार की तरफ से किसानों को कई प्रकार की सुविधा दी जा रही है जैसे- किसान को फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये का अनुदान देती है. इसके अलावा भी सैकड़ों की संख्या में पराली प्रबंधन के यंत्र किसानों को सब्सिडी पर दिए गए हैं.

इसके अलावा भी और कई उपाए हैं जैसे किसान वेस्ट डी-कंपोजर का छिड़काव या आधा बैग यूरिया डालकर पराली को जमीन में मिला सकते हैं ताकि वो जल्दी डी-कंपोज हो सके. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है. पराली का गोशालाओं में भी प्रयोग हो सकता है. अनेक गोशाला संचालक किसान से पराली लेते हैं.

रोहतक प्रशासन इस साल दिखाएगा सख्ती

रोहतक में पराली की समस्या को लेकर जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार का कहना है कि पराली की समस्या हर साल की है और इसको रोकने के लिए किसानों से बार-बार आग्रह भी किया जाता है और जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं बावजूद इसके किसान नहीं मानते. इस बार इस समस्या को लेकर सख्ती से निपटा जाएगा. उन्होंने कहा कि गांव के सरपंच और पंचों के अलावा तहसील कार्यालय के अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी कि वह किसानों को समझाएं और फिर भी किसान ना माने तो इस विषय में सख्ताई से काम करें.

पराली जलाने से फैलता है प्रदूषण

गौरतलब है कि हर वर्ष पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाई जाती है जिसके बाद देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के राज्यों में वातावरण दूषित होता है. जिससे सांस लेने में तकलीफ और अनेक प्रकार की बीमारियां लोगों को घेर रही हैं. इसी को लेकर सरकार बार-बार किसानों से आग्रह करती रही है कि पराली ना जलाएं, लेकिन फिर भी किसान चोरी-छिपे रात के अंधेरे में पराली जलाते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं.

सरकार कर रही उपाय, किसान फिर भी मजबूर

हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस साल भी सेटेलाइट से किसानों पर निगाह रखी जाएगी और कई किसानों के तो पिछले साल भारी संख्या में चालान भी हुए हैं और जुर्माना वसूला गया है, लेकिन बावजूद इसके किसान लगातार पराली जला रहे हैं. सरकार की ओर से पराली की समस्या के समाधान के लिए कई उपाय भी किए गए हैं, लेकिन सभी जिलों के किसानों को इन उपायों का फायदा नहीं मिल रहा इसलिए इन किसानों के सामने पराली जलाने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

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