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रोहतक में जिंदा दिव्यांग को मृत दिखा काटी पेंशन, अधिकारी नहीं कर रहे सुनवाई

हरियाणा के रोहतक में पेंशन काटने का मुद्दा (Pension Deducted In Rohtak) थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला रोहतक के गंधा गांव का है जहां एक दिव्यांग को मृत बताकर उसको मिलने वाली पेंशन काट दी गई . बता दे कि हाल ही में इसी गांव के 102 साल के पेंशन रोकने का मामला सामने आया था.

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Published : Sep 11, 2022, 10:27 AM IST

रोहतक: जिले के गांधरा गांव के रहने वाले 102 वर्षीय बुजुर्ग दुलीचंद को मृत दिखाकर पेंशन काटने के मामला भले ही निपट गया हो, लेकिन अब उनके गांव के ही दिव्यांग राजेंद्र का केस सामने आया है. यह दिव्यांग दुलीचंद के पास पहुंचा और फरियाद लगाई. इसके बाद यह दिव्यांग दुलीचंद को साथ लेकर मीडिया से रूबरू हुआ और अपनी व्यथा सुनाई.


रोहतक के गांधरा गांव का राजेंद्र दिव्यांग है. इस नाते उसकी दिव्यांग पेंशन बनी हुई थी. इस साल अप्रैल माह में दिव्यांग को मृत मानकर सरकार ने अचानक ही उसकी दिव्यांग पेंशन काट (Disable Man Pension Deducted in rohtak) दी. इसके बाद वह अपनी पेंशन दोबारा शुरू कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहा लेकिन कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई. यहां तक कि उसने ग्राम पंचायत के लेटर पैड पर यह लिखवा कर दे दिया कि वह जिंदा (Disable Man prove himself alive In Rohtak) है. इसके बावजूद उसे जिंदा मानकर दोबारा पेंशन शुरू नहीं की गई.

इस बीच गांधरा गांव के 102 साल के दुलीचंद की पेंशन का मुद्दा भी पूरी तरह गरमा गया. दरअसल दुलीचंद को पिछले 6 माह से बुढापा पेंशन नहीं मिली थी. पता चला कि सरकार ने उन्हें मृत घोषित कर बुढापा पेंशन काट दी. इसके बाद दुलीचंद ने खुद को जिंदा घोषित करने के लिए बाकायदा रथ पर रोहतक शहर में बारात निकाली. इस दौरान साथ में ग्रामीण नाचते और नोट उड़ाते हुए चले. बाद में पूर्व मंत्री व भाजपा नेता मनीष ग्रोवर को ज्ञापन सौंपा. पूर्व मंत्री ने एडीसी महेंद्र पाल को बुलाकर मामले की जांच के लिए कहा. खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के संज्ञान में यह मामला आया. तब कहीं जाकर दुलीचंद की बुढापा पेंशन दोबारा शुरू हुई.


दिव्यांग राजेंद्र ने गांव में दुलीचंद के पास पहुंच कर फरियाद लगाई फिर दुलीचंद उसे लेकर आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद के पास पहुंचा. सभी ने प्रेस कांफ्रेंस कर स्थिति से अवगत कराया. दिव्यांग राजेंद्र ने कहा कि वह काफी समय से भटकर रहा है लेकिन सरकार ने उसे भी मृत मानकर पेंशन काट दी है. इसलिए सरकार से गुहार है कि दुलीचंद की तरह उसे जिंदा मानकर दोबारा पेंशन शुरू की जाए.

नवीन जयहिंद ने कहा कि हरियाणा में करीब 15 हजार दिव्यांग, विधवा व बुढापा पेंशन के ऐसे मामले हैं, जिन्हें मृत घोषित कर पेंशन काट दी गई है. जब ये जिंदा लोग अपने जीवित होने का प्रमाण लेकर सरकारी दफ्तरों में जाते हैं तो अधिकारी इन्हें कोई न कोई बहाना बना कर गुमराह कर देते है. जयहिन्द ने कहा सरकार के पास इन बुजुर्गो, दिव्यांगों व विधवा महिलाओं की पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं तो क्या इस तरीके से उन्हें मृत दिखाकर पेंशन बन्द कर रही है.

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