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102 वर्षीय दुलीचंद ने सीएम से मिलने के लिए लिखा भावुक पत्र, बोले- कोरोना मुझे नहीं मार सका, सरकार ने मार दिया - सीएम मनोहर लाल से मिलेंगे दुलीचंद

हरियाणा के रोहतक जिले में मृत दिखाकर पेंशन रोकने के पीड़ित 102 वर्षीय दुलीचंद (102 year old man took out procession) ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है. पत्र में दुलीचंद ने बेहद भावुक करने वाली बातें लिखी हैं. दुलीचंद ने कहा कि मुझे कोरोना की तीन लहर नहीं मार सकी लेकिन सरकार ने मार दिया.

रोहतक के 102 वर्षीय दुलीचंद
रोहतक के 102 वर्षीय दुलीचंद

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Published : Sep 14, 2022, 11:08 PM IST

रोहतक: मृत घोषित कर बुढ़ापा पेंशन काटे जाने के बाद रथ पर बैठकर बारात निकालने वाले 102 वर्षीय दुलीचंद (Dulichand pension case in Rohtak) ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात के लिए समय मांगा है. मुख्यमंत्री के नाम लिखे गए पत्र में दुलीचंद ने कहा है कि भगवान की कृपा से वे जिंदा हैं लेकिन कब बुलावा आ जाए कहा नहीं जा सकता. ऐसे में वे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पेंशन को लेकर हो रही गड़बड़ी को उजागर करेंगे.

दुलीचंद का कहना है कि उनके साथ कई ऐसे लोग होंगे जो वास्तव में जिंदा हैं लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वे कोरोना महामारी की तीन लहरों से बचकर निकले हैं. उन्हें कोरोना महामारी नहीं मार सकी लेकिन सरकार ने उन्हें मार दिया. इस बुजुर्ग ने कहा कि ऐसे-ऐसे केस सामने आ रहे हैं जिनमें किसी विधवा के मृत पति को कागजों में जिंदा कर पेंशन काट दी गई है तो कहीं दिव्यांगों की पेंशन काट दी गई.

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कई जिलों में संपन्न व्यक्ति को विकलांग बताया जा रहा है. साथ ही जिनका कोई रोजगार नहीं है. उन्हें सरकारी कर्मचारी बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि कई बुजुर्ग तो ऐसे हैं जो अपने जिंदा होने का सबूत लेकर घूम रहे हैं लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने सवाल किया कि अधिक उम्र होना उनके हाथ में नहीं है. लेकिन सरकार ने क्या कोई ऐसा नियम बना रखा है कि एक तय उम्र के बाद व्यक्ति को मुर्दा मान लिया जाए.

हरियाणा में ऐसे हजारों जिंदा मुर्दे घूम रहे हैं. दुलीचंद ने मुख्यमंत्री से वीरवार सुबह मुलाकात का समय मांगा है. दरअसल मुख्यमंत्री इस दिन रोहतक में आएंगे. साथ ही चेतावनी दी कि अगर इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ तो सभी जिंदा मुर्दे हरियाणा की सडकों पर उतरकर संघर्ष करने को मजबूर होंगे.

दरअसल दुलीचंद को सरकारी रिकॉर्ड में मुर्दा बताकर पेंशन रोक ली (Old man Procession for pension) गई है. 6 महीने से पेंशन नहीं मिली है, वजह जानने के लिए सरकारी बाबुओं के पास पहुंचे तो सरकारी रिकॉर्ड में दुलीचंद मर चुके थे, जिसके चलते उनकी पेंशन बंद कर दी गई थी. खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर एड़ियां घिस गईं लेकिन जिंदा दुलीचंद को मृत बताता सरकारी कागज उन्हें खाली हाथ वापस लौटा देता. दुलीचंद अपने परिवार के साथ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर थक गए. जिसके बाद उन्होंने बैंड और बाजे के साथ बारात निकाली. जिसमें बकायदा बाराती भी शामिल हुए.

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