पानीपत: हरियाणा की टेक्सटाइल नगरी पानीपत (Panipat Textile Industry) के उद्योगपतियों ने कोयला संचालित उद्योगों को बंद करने पर कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेटमेंट के खिलाफ 14 अक्टूबर को बडे़ आंदोलन का एलान किया था. लेकिन इस रुख को कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेटमेंट ने गंभीरता से नहीं लिया. मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उद्यमियों का रुख भी अब नरम पड़ गया है. सरकार के आश्वासन के बाद व्यापारी खुद भी मान गए हैं. अब उद्यमियों के सामने डाइंग यूनिट के बॉयलर को पीएनजी या बायोमास पर स्थापित करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है.
बायोमास पर किया जा रहा है स्विफ्ट- 1 अक्टूबर से आज तक लगभग 180 डाइंग यूनिट के बॉयलर बायोमास पर शिफ्ट हो गए हैं. 44 यूनिट पीएनजी पर चल रहे है जबकि 50 दूसरे उद्योगों ने भी पीएनजी की सप्लाई के लिए आवेदन किया हुआ है. इस पर अभी काम शुरू नहीं हुआ. अक्तूबर महीने के अंतिम तक लगभग 350 डाइंग यूनिट बायोमास पर शिफ्ट हो सकती हैं. पीएनजी की दर लगभग 65 रुपये प्रति एससीएम है. इसलिए उद्यमी बायोमास पर ही जाना बेहतर समझ रहे हैं. पर एक समस्या उनके सामने खड़ी हो गई है कि 30 सितंबर के बाद बायोमास के रेट आठ रुपये प्रति किलोग्राम थे अब ये 12 रुपये प्रति किलोग्राम हो चुके हैं.
हरियाणा की टेक्सटाइल नगरी पानीपत. पीएनजी कनेक्शन के लिए बना रहे दबाव- पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भीम राणा ने बताया कि Commission for Air Quality Management (CAQM) उद्यमियों पर बॉयलर को पीएनजी पर शिफ्ट करने का दबाव बना रहा है. फैक्ट्री में काम करने वाले कारीगरों के पास भी पीएनजी के बॉयलर चलाने का प्रशिक्षण नहीं है. लगातार पीएनजी के ब्वॉयलर्स की मांग बढ़ रही है. ऐसे में विदेशों में बनने वाले बैलेंस के बाद भी भारत के पास नहीं है. दूसरी परेशानी उनके सामने लगातार बढ़ रहे पीएनजी के दाम भी हैं. रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद सीएनजी के रेट लगभग दोगुने हो चुके हैं.
ठप हो सकती है पानीपत इंडस्ट्री- भीम राणा ने बताया कि 1 अक्टूबर से अब तक उनकी यूनिट बंद हुए 14 दिन हो चुके हैं. इन दिनों में पानीपत इंडस्ट्री को लगभग 14 सौ करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. बाहर से ऑर्डर मिलना भी बंद हो चुका है और जो ऑर्डर मिला था वह भी समय पर नहीं पहुंच पा रहा है. हजारों टन कपड़ा यूनिट में डंप हो चुका है जो टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए बड़ा नुकसान है. बायोमास और पीएनजी पर वह अपने उद्योगों को अगर स्थापित करते हैं तो दूसरे देशों में बना कंबल और टेक्सटाइल प्रोडक्ट पानीपत में बने प्रोडक्ट से काफी सस्ता होगा. ऐसे में लोग उनके प्रोडक्ट को छोड़कर दूसरे देशों में बनने वाले प्रोडक्ट को ही खरीदेंगे, जिससे पानीपत इंडस्ट्री ठप हो सकती है.
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