पानीपत: पानीपत के थर्मल पावर स्टेशन के पास बसा गांव खुखराना(panipat khukhrana village), जहां पहले थर्मल पावर स्टेशन(panipat thermal power station) से उड़ने वाली राख से लोग परेशान थे. अब करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर सीमेंट बनाने वाले प्लांट से लोगों का जीना दूभर हो चुका है. 2012 में इस गांव को शिफ्ट करने के आदेश हो चुके थे लेकिन अभी तक गुटबाजी के चलते गांव शिफ्ट नहीं हो पाया है. जिसके चलते इस गांव में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. गांव बसाने के लिए सरकार द्वारा जगह तो दे दी गई लेकिन उस पर काम कछुए की चाल के बराबर चल रहा है.
इस गांव में करीब 3000 लोग रहते हैं और इनमें से 90% लोग चमड़ी और दमे की बीमारी से ग्रसित हैं. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कोई भी नया मकान नहीं बनाया गया है. नए मकान ना बनाने के पीछे दो कारण हैं पहले तो ग्रामीण यही सोचते हैं कि है गांव शिफ्ट हो जाएगा, लेकिन साल दर साल बीत रहे हैं. ये गांव शिफ्ट नहीं हो पा रहा. दूसरा कारण यह है कि इस गांव में वॉटर लेवल बहुत ऊपर है. जिस कारण जमीन भी धंसने का डर बना रहता है.
वॉटर लेवल ऊपर होने का कारण एक यह भी माना जा रहा है कि थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाली राख सीमेंट में इस्तेमाल की जाती है और सीमेंट प्लांट के लिए यह राख साथ ही बनाई गई राख की झील में स्टोर की जाती है और इसके साथ पानी भी छोड़ा जाता है. जिस कारण भूमिगत जल इस गांव में ऊपर आ गया है. सीमेंट प्लांट और थर्मल पावर स्टेशन से उड़ने वाली राख से इस गांव में चमड़ी का रोग दिन प्रतिदिन फैल रहा है. यही वजह है कि इस गांव के हर घर में एक चमड़ी का रोगी मिलेगा.