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30 सितंबर के बाद पानीपत में कोयले से चलने वाले उद्योग होंगे बंद, इंडस्ट्री मालिकों की बढ़ी मुश्किलें

एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने 30 सितंबर तक कोयले से चलने वाले उद्योगों को पीएनजी गैस पर शिफ्ट करने के आदेश (Order to shift industries to PNG gas) दिए हैं. इन आदेशों पर अब हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी उद्यमियों को चेताया है. उद्यमियों को 30 सितंबर तक का अल्टीमेटम देते हुए सूचना सार्वजनिक कर दी है. इससे उद्यमियों में रोष है.

Order to shift industries to PNG gas
पानीपत की हैंडलूम इंडस्ट्रियों की मुश्किल बढ़ गई है.

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Published : Sep 9, 2022, 8:44 AM IST

Updated : Sep 9, 2022, 2:34 PM IST

पानीपत: 30 सितंबर के बाद पानीपत की हैंडलूम मार्केट (Handloom Market of Panipat) की मुश्किल और भी बढ़ने जा रही हैं. एनसीआर में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने 30 सितंबर तक कोयले से चलने वाले उद्योगों को पीएनजी गैस पर शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. इन आदेशों पर अब हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Haryana State Pollution Control Board ) ने भी पानीपत के उद्योगपतियों को चेतावनी दी थी. 30 सितंबर आने में सिर्फ 21 दिन बाकी है पर आज भी पानीपत की लगभग 50 प्रतिशत यूनिट कोयले पर ही आधारित है जोकि सितंबर माह के बाद उद्योगपतियों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकती है.

बता दें कि लगभग 2 महीने पहले सरकार ने पानीपत और मतलोड़ा को एनसीआर से बाहर करने के लिए प्लानिंग कमेटी के पास प्रस्ताव भेजा था. लेकिन अभी तक पानीपत और मतलोड़ा को एनसीआर से बाहर नहीं किया गया. उद्योगपति भी इस असमंजस में फंसे हुए हैं कि वह एनसीआर से बाहर होंगे या नहीं. जब तक सरकार यह साफ नहीं करती कि एनसीआर से पानीपत और मतलोड़ा दोनों बाहर हो गए हैं तब तक उन पर एनसीआर के रूल लागू होंगे.

30 सितंबर के बाद पानीपत में कोयले से चलने वाले उद्योग होंगे बंद, इंडस्ट्री मालिकों की बढ़ी मुश्किलें
एयर क्वालिटी मैनेजमेंट पहले ही कर चुका है अलर्ट- बता दें कि एयर क्वालिटी मैनेजमेंट पहले ही यह साफ कर चुका है कि 30 सितंबर के बाद कोयला संचालित उद्योग नहीं चलेंगे. इसके बावजूद अब तक शहर में महज बीस फीसदी उद्योगपति ही अपनी यूनिट को पीएनजी कनेक्शन पर शिफ्ट कर पाए हैं. पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रीतम सचदेवा ने बताया कि आज भी पानीपत के उद्योगपति इसी आस पर है कि वह एनसीआर से बाहर हो जाएंगे. परंतु सरकार के साथ उनकी कोई अभी तक मीटिंग इस बात को लेकर नहीं हुई तो ऐसे में एनसीआर के रूल ही लागू होंगे.पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Panipat Industries Association) के प्रेसिडेंट प्रीतम सचदेवा ने बताया कि कुछ इंडस्ट्रीज कोयले के साथ-साथ बायोफ्यूल यानी लकड़ी के बुरादे और लकड़ी के गुटको के साथ संचालित की जाने लगी है. परंतु बायोफ्यूल कोयले के मुकाबले और अधिक महंगा पड़ता है. रही पीएनजी की बात तो पीएनजी कोयला और बायोफ्यूल दोनों से ही महंगी मिल रही है. साथ ही इस बात की भी गारंटी नहीं है कि आने वाले समय में वह पीएनजी कनेक्शन लेते भी है तो पीएनजी के रेटों में इजाफा नहीं होगा. पीएनजी कनेक्शन देने से पहले सरकार को एक कमेटी बनानी पड़ेगी कि निर्धारित रेट को एकदम ना बढ़ाया जाए. टेक्सटाइल नगरी पानीपत यूक्रेन युद्ध के बाद बुरे दौर से गुजर रही है. कैमिकल और कोयले के दाम बढ़ने से महीने में 8 दिन डाइंग यूनिट बंद करनी पड़ रही है. अब ट्रांसपोर्टेशन भी महंगा हो गया है. देश की डॉमेस्टिक मार्केट ही थोड़ा बहुत उन्हें फायदा पहुंचा रही है. इंटरनेशनल मार्केट बिल्कुल ही डाउन है. अगर ऐसे में पानीपत और मतलोड़ा दोनों ही एनसीआर से बाहर नहीं हुए तो उन पर एनसीआर के रूल ही लागू होंगे. 30 सितंबर तक 50 प्रतिशत तक यूनिट बंद होने की कगार पर आ जाएंगी. उद्योगपतियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह पानीपत को एनसीआर से जल्द बाहर निकलवाने के लिए उद्योगपतियों से मीटिंग करें.
Last Updated : Sep 9, 2022, 2:34 PM IST

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