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विदेशों की तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाई जाएगा खिलाड़ियो का प्रदर्शन

पंचकूला में खिलाड़ियों के प्रदर्शन में डाटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गोयदान को बढ़ाने और विदेशों जैसी सुविधा उपबल्ध कराने को लेकर एक सेमिनार हुआ. इस कार्यक्रम में भारतीय प्रद्यौगिकी संस्थान मद्रास के प्रोफेसर समेत कई जाने माने लोग पहुंचे.

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Published : Jun 6, 2022, 8:15 PM IST

चंडीगढ़: अब विदेशों की तर्ज पर भारत में भी खिलाडियों की परफॉर्मेंस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाया जाएगा. इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के प्रोफेसर की टीम लगी हुई है. उनका मकसद ऐसा मॉडल विकसित करना है, जिसका फायदा छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों को भी मिल सके, जो तकनीक आज भी उनकी पहुंच से बाहर है. पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हरियाणा सरकार, राष्ट्रीय खेल विज्ञान (National Sports Science) और राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली द्वारा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने में नई तकनीक के योगदान पर कार्यक्रम आयोजित किया गया.

इस कार्यक्रम में पहुंचे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (Indian Institute of Technology Madras) के एनालिटिक्स सेंटर के प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला व प्रोफेसर नंदन ने बताया कि तकनीक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने में अहम योगदान दे रही है. अक्सर देखने में आता है कि बड़े खिलाड़ी प्रेक्टिस के लिए विदेश जाकर कोचिंग लेते हैं. इसकी बड़ी वजह वहां उपलब्ध खेलों से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस है. जिसका इस्तेमाल करके खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को और बेहतर करने पर काम किया जाता है. यह सब अब भारत में हमारे खिलाड़ियों के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए आईआईटी मद्रास की टीम काम कर रही है.

प्रोफेसर महेष ने बताया कि एनालिटिक्स सेंटर, आईआईटी मद्रास की टीम तीन मकसद लेकर कार्य कर रही है. पहला मकसद एथलीट के लिए ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम का इंतजाम करना है, जिसमें वह आसानी से तकनीक के माध्यम से अपनी योग्यता को पहचान सके और कमियों को दूर कर सके. दूसरा मकसद एथलीट की परफॉर्मेंस को साइंस व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से बढ़ाना है. इसके लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है. आने वाले 6 महीने से एक साल के अंदर तैयार हो जाएगा. इसके अतिरिक्त, खेलों से जुड़ी नई-नई तकनीक के लिए नए-नए स्टार्टअप को बढ़ावा देना और ऐसा इकोसिस्टम बनाना है, जिससे यह तकनीक सस्ती हो और आम पहुंच के अंदर उपलब्ध हो जाए. इससे छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ी भी इस तकनीक का फायदा उठा सकेंगे.

प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला के मुताबिक इस कार्य में आईआईटी, मद्रास के 5 प्रोफेसर की टीम लगी हुई है. इनके साथ एक सीईओ भी कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि टीम ऐसे मॉडल विकसित कर रही है, जिससे खिलाड़ी के बॉयो मार्कर और परफॉर्मेंस मॉर्कर के आधार पर उनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी. इसके अतिरिक्त, उनका मकसद खिलाड़ियों को खेल के दौरान लगने वाली चोट को भी कम करना है ताकि इससे खेलों में कम से कम ड्रॉप आउट हों.

राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र के निदेशक ब्रिगेडियर विभु कल्याण नायक ने कहा कि हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम में एक छत के नीचे पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी इकट्ठा हुए हैं. इसमे अंजु बॉबी जॉर्ज और डॉ. अजय कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे. जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने खिलाड़ियों को बताया कि किस तरह उन्हें खेलों के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा और भविष्य में दूसरे खिलाड़ी कैसे अपने खेल में और ज्यादा सुधार कर सकते हैं. विभु कल्याण ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 300 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है. इसके अंतर्गत खिलाड़ियों की खेलों के दौरान लगने वाली चोट व उनकी परफॉर्मेंस को बढ़ाने के संबंध में शोध कार्य किए जा रहे हैं.

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